विकाश दुबे मामला : अपराधियों को निपटाने के लिए एनकाउंटर का सहारा न ले यूपी पुलिस-SC

विकास दुबे एनकाउंटर मामले में सुप्रीम कोर्ट से बड़ी खबर सामने आयी है. उत्तर प्रदेश सरकार ने एनकाउंटर की जांच के लिए बनाए आयोग के सदस्यों का नाम सुप्रीम कोर्ट को सौंप दिया है. इस जांच आयोग में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बीएल चौहान और यूपी के पूर्व डीजीपी केएल गुप्ता का नाम प्रस्तावित किया गया है.

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश देते हुए कहा कि आयोग एक हफ्ते के भीतकर काम शुरू करें और दो महीने में रिपोर्ट यूपी सरकार और सुप्रीम कोर्ट को सौंपी जाए. कोर्ट ने कहा कि आयोग का दफ्तर कानपुर में होगा और इसे स्टाफ उत्तर प्रदेश सरकार नहीं केंद्र सरकार उपलब्ध करवाए.

2 महीने में जांच पूरी करने का आदेश 
सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से कहा है कि वह इस मामले से जुड़ी जांच को अगले 1 हफ्ते में शुरू करें और आने वाले 2 महीनों में इसे पूरा कर लिया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान यूपी सरकार से ये भी कहा कि वह ये सुनिश्चित करे कि इस तरह की कोई भी घटना भविष्य में ना हो। सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता यूपी सरकार की पैरवी कर रहे थे, जिन्होंने सरकार के हलफनामे को अदालत में पेश किया। 

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने यूपी सरकार की तरफ से कमीशन के सदस्यों के नाम तय किए जाने पर एतराज़ जताया. इस पर सीजेआई ने सहा कि मैंने जस्टिस चौहान के साथ काम किया है. शायद मैं भी अपनी तरफ से उनका ही नाम सुझाता. कोर्ट ने आयोग का दफ्तर दिल्ली में रखने की मांग ठुकराई. आयोग कानपुर से काम करेगा. कोर्ट ने आदेश दिया कि आयोग को स्टाफ राज्य सरकार नहीं बल्कि केंद्र सरकार उपलब्ध करवाए.

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