कानपुर पुलिस हिंदी फिल्मों से प्रेरित

अभी विकास दुबे के एनकाउंटर की गुत्थी सुलझी भी नहीं थी की फिरौती दिलवाकर भी नहीं बचा पाए लैब तकनीशियन को सोचने का विषय क्यूँ पुलिस पीछे रह जाती है और अपराधी आगे. स्थानीय थाना चौकी प्रभारी का निलंबन या स्थानांतरण हल है क्या. अपराधियों के हौंसले क्यूँ बुलंद है क्यूँ नहीं है डर कानून का हो सकता हो जो अधिकारी आज वहां है किसी भी अपराधी को पहली बार ही अपराध की सजा तय हो बढ़ावा ना मिले वरना खाकी और खादी के गठजोड़ से परिणाम भयावह होते है कालांतर हम सबने देखा है

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