सेवाभाव ने रंजना को बनाया गरीबो की सखी

सेवा के बदले मिला पद और शोहरत 

ऊंचाहार – लोकतांत्रिक व्यवस्था मे वैसे तो कोई भी महिला का  कामकाज घर के पुरुष करते है , लेकिन ऊंचाहार की रंजना चौधरी इसका अपवाद है | उन्होने पुरुषो को पछाड़ कर खुद को न सिर्फ राजनीति की वीरांगना साबित किया है , अपितु सेवाभाव ने उनको गरीबो की सखी बना दिया है |     हम यहाँ बात कर रहे है ऊंचाहार तृतीय से जिला पंचायत सदस्य रंजना चौधरी की | क्षेत्र के बिकई गाँव निवासी रंजना चौधरी  सन 2009 मे  जब पुतून निर्मल से शादी करके इस गाँव मे आई थी , तब इसका परिवार मुफ़लिसी मे जीवन जी रहा था | घर मे आयी एक बहू ने परिवार को संभाला , बाद मे जब इनके पति शिक्षक बने तो और इनकी माली हालत सुधरी तब  इनके मन मे यह भाव पैदा हुआ कि जो गरीबी का दंश हमने सहा है , वैसा दंश कोई गरीब न सहे | इसके लिए उन्होने अपने पति से मदद ली और पहले गाँव मे फिर आसपास के लोगो की मदद करना शुरू कर दिया | किसी गरीब की बेटी की शादी हो या फिर किसी गरीब की मौत हो गयी हो , हर जगह रंजना नजर आने लगी | उनको लेकर लोग तरह तरह की चर्चायेँ करते , लेकिन उन्होने इसकी परवाह नहीं की , और अपना काम जारी रखा | उनकी पहचान केवल बड़े बूढ़ो तक ही नहीं थी , अपितु बच्चो मे वह ख़ासी लोकप्रिय हो गयी | इसका कारण उनकी टाफी थी | रोज सुबह घर के कामकाज से जब कहीं बाहर निकलती तो उनके थैले मे टाफ़ियाँ भरी होती थी , और जो भी बच्चा मिला उसे टाफी थमा दिया | इससे उनको देखते ही बच्चे घेर लेते है | 2015 के पंचायत चुनाव मे उन्होने राजनीति मे कदम रखा और ऊंचाहार तृतीय से जिला पंचायत सदस्य चुनी गयी | इससे उनकी पहचान जिला स्तर पर बन गयी |  जिला पंचायत सदस्य बनने के बाद भी उनका गरीबो की मदद का सफर जारी है | दूसरी ओर उन्होने पंचायत का कामकाज खुद संभालकर अन्य महिला प्रतिनिधियों के लिए एक प्रेरणा भी दी है | पंचायत का कामकाज खुद देखती है , इसमे घर के किसी सदस्य का कोई हस्तक्षेप उनको बरदास्त नहीं है | रंजना बताती है कि राजनीति उनके लिए केवल पहचान बनाने का माध्यम है , ताकि अधिक से अधिक लोग उन तक पहुंचे और वह लोगो की मदद कर सके | अब तक वो क्षेत्र मे पचास गरीब बेटियो की शादी मे आर्थिक मदद कर चुकी है | इसके अलावा सैकड़ो गरीबो का इलाज करा चुकी है |

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