शाह का बंगाल दौरा : भाजपा कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ा, राज्य यूनिट को एग्रेसिव रहने का संदेश

कोलकाता : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का 5-6 मई को दो दिवसीय पश्चिम बंगाल दौरा यह सवाल खड़ा करता है कि क्या इससे भाजपा की राज्य इकाई को अपने बिखरे हुए संगठनात्मक नेटवर्क के पुनर्गठन में मदद मिलेगी. सवाल यह भी उठता है कि क्या शाह ने राज्य के पार्टी नेताओं को अंदरूनी कलह को रोकने और पार्टी कार्यकर्ताओं के गिरते मनोबल को बढ़ाने के लिए एकजुट होकर काम करने का स्पष्ट संदेश दिया या नहीं. (Amit Shahs eventful Bengal visit ).

राजनीतिक पर्यवेक्षकों को लगता है कि केवल समय ही बता सकता है कि मंत्री के दौरे से अंतत: भाजपा की बंगाल इकाई को मदद मिलेगी या नहीं. हालांकि, पर्यवेक्षक मानते हैं कि शाह ने इन दो दिनों का इस्तेमाल एक अनुभवी राजनेता के रूप में राज्य में अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को स्पष्ट संदेश देने के लिए किया. सार्वजनिक कार्यक्रमों में, शाह ने स्पष्ट रूप से पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं के मनोबल को बढ़ाने के उद्देश्य से तृणमूल कांग्रेस और राज्य सरकार विरोधी संदेश दिए. हालांकि, पश्चिम बंगाल के शीर्ष भाजपा नेताओं के साथ बंद कमरे में हुई बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री ने स्पष्ट संदेश दिया कि विपक्ष में होने के कारण भगवा नेताओं को अपनी लड़ाई खुद लड़नी होगी.

बैठक में, शाह ने कथित तौर पर अपनी पार्टी के लोगों से कहा कि केंद्र सरकार एक निर्वाचित राज्य सरकार के खिलाफ किसी भी तरह से कार्रवाई नहीं कर सकती है. यह सिर्फ एक साल पहले सत्ता में आई है और वह भी इतने बड़े बहुमत के साथ. हालांकि, साथ ही उन्होंने राज्य के भाजपा नेताओं को आश्वासन दिया कि वह अधिक बार पश्चिम बंगाल आएंगे. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह आश्वासन राज्य नेतृत्व के लिए एक सूक्ष्म संदेश है कि अगर वे तृणमूल के खिलाफ जवाबी हमले की रणनीति बना सकते हैं, तो पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व राज्य नेतृत्व के साथ खड़े होने में संकोच नहीं करेगा.

वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक राजगोपाल धर चक्रवर्ती के अनुसार, एक अनुभवी राजनेता के रूप में शाह अच्छी तरह से जानते हैं कि 2024 के लोकसभा चुनावों में पश्चिम बंगाल में अनुच्छेद 355 या 356 का उपयोग पार्टी के लिए प्रतिकूल हो सकता है. इसलिए, पार्टी कार्यकर्ताओं के मनोबल को बढ़ाने के बावजूद, वह राज्य के नेताओं को इस वास्तविकता के बारे में याद दिलाना नहीं भूले कि तृणमूल कांग्रेस का राजनीतिक रूप से मुकाबला किया जाना है.

तृणमूल कांग्रेस के राज्य महासचिव और पार्टी प्रवक्ता कुणाल घोष को भी लगता है कि अनुच्छेद 355 और 356 पर कोई भी पहल अगले चुनावों में राज्य से भाजपा का सफाया कर देगी.

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