कांग्रेस संगठन स्तर पर करेगी बड़ा बदलाव!

7 बिंदुओं में जाने कैसा है पार्टी के भविष्य का रोडमैप

नई दिल्ली । पांच राज्यों में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस पार्टी उदयपुर में चिंतन शिविर के जरिए इस पर मंथन में जुटी है। इस शिविर में पार्टी को दोबारा मजबूती से खड़ा करने पर चर्चा का दौर जारी है। इससे पहले ही पार्टी के नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय माकन ने बड़ा खुलासा किया है। एक प्रेस वार्ता में उन्होंने साफ कर दिया है कि इस चिंतन शिविर के बाद पार्टी में हर स्तर पर बदलाव देखने को मिलेगा। उनकी तरफ से आया ये बयान इसलिए बेहद खास है क्योंकि चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने पार्टी को सलाह दी थी कि उसको अपने में सुधार के लिए संगठन में हर स्तर पर बड़ा बदलाव करना होगा। माकन के बयान से अब ये साफ हो गया है कि पार्टी प्रशांत किशोर की दी सलाह पर अमल करने को तैयार है।माकन ने इस प्रेस वार्ता में ये भी माना है कि पार्टी में आजादी के इतने वर्षों के बाद भी कोई बड़ा बदलाव नहीं किया गया है। पार्टी को ढांचा भी वही पुराना है जो पहले हुआ करता था। उन्होंने कहा कि अब इस बात की जरूरत को महसूस किया जाने लगा है कि पार्टी में वो सभी बड़े बदलाव किए जाएं जो उसको आगे बढ़ाने में मददगार साबित हो सकते हैं। उनके मुताबिक पार्टी में सबसे छोटी यूनिट पोलिंग बूथ स्तर है। इसके बाद सीधे ब्लाक स्तर आ जाता है। पार्टी में इस बात की मांग उठ रही है कि इन दोनों स्तरों के बीच में देश भर में चार से पांच मंडल बनाए जाने चाहिए। इसको तहत 15-20 पोलिंग बूथ का एक मंडल और 3-5 मंडल का एक ब्लाक बनाए जाने पर चर्चा होगी।बदलते दौर में डेमोक्रेसी के जो टूल्स नए नए आ चुके हैं उन्हें भी पार्टी ने अब तक नहीं अपनाया है, उन्हें अब अपनाने की तरफ कदम बढ़ाया जाएगा। पार्टी का एक इनसाइट डिपार्टमेंट होना चाहिए। इसका काम जनता के बीच लगातार विभिन्न मुद्दों पर सर्वे करवाना और ये जानना कि जनता क्या चाहती है। इसके जरिये पार्टी को ये पता चलेगा कि उसको किन मुद्दों को किस तेजी के साथ उठाना चाहिए।पार्टी नेताओं द्वारा किए जा रहे कार्यों को मापने के लिए Assesment wing बनाने की चर्चा जोरों पर है। ये विंग इस बात का पता लगाएगा कि कौन सा नेता पार्टी के लिए बेहतर काम कर रहा है और कौन नहीं, किसको आगे बढ़ाया जाना चाहिए और किसे नहीं। इससे उन सवालों पर विराम लगाया जा सकेगा जिनमें ये सुनने को मिलता है कि काम करने के बावजूद नेता को तवज्जो नहीं मिलती और काम न करने वाले आगे बढ़ जाते हैं।

Related Articles

Back to top button