महंगाई का असर : थोक मुद्रास्फीति अप्रैल में 15.08 फीसदी के रिकॉर्ड स्तर पर

नई दिल्ली : खाने-पीने की चीजों और वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण थोक मूल्य-आधारित मुद्रास्फीति (वीपीआई) अप्रैल में बढ़कर 15.08 प्रतिशत के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गई है. वीपीआई (Wholesale price based inflation) आधारित मुद्रास्फीति मार्च में 14.55 फीसदी और पिछले साल अप्रैल में 10.74 फीसदी थी. अप्रैल 2022 में मुद्रास्फीति की उच्च दर मुख्य रूप से खनिज तेलों, मूल धातुओं, कच्चे पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस, खाद्य पदार्थों, गैर-खाद्य वस्तुओं, खाद्य उत्पादों और रसायनों और रासायनिक उत्पादों आदि की कीमतों में वृद्धि के कारण रही. वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि वीपाआई मुद्रास्फीति पिछले साल अप्रैल से लगातार 13वें महीने दोहरे अंक में बनी हुई है.

सब्जियों, गेहूं, फलों और आलू की कीमतों में एक साल पहले की तुलना में तेज वृद्धि देखी गई जिस कारण खाद्य पदार्थों में मुद्रास्फीति 8.35 प्रतिशत रही. ईंधन और बिजली खंड में मुद्रास्फीति 38.66 प्रतिशत रही, जबकि विनिर्मित उत्पादों और तिलहन में यह क्रमशः 10.85 प्रतिशत और 16.10 प्रतिशत रही. कच्चे पेट्रोलियम पदार्थों और प्राकृतिक गैस की मुद्रास्फीति अप्रैल में 69.07 प्रतिशत रही.

पिछले सप्ताह जारी आंकड़ों से पता चलता है कि खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल में बढ़कर 8 साल के उच्च स्तर 7.79 प्रतिशत पर पहुंच गई, जो लगातार चौथे महीने रिजर्व बैंक के मुद्रास्फीति लक्ष्य से ऊपर रही. अत्यधिक महंगाई पर काबू पाने के लिए आरबीआई ने इस महीने की शुरुआत में अपनी प्रमुख ब्याज दर में 0.40 प्रतिशत और नकद आरक्षित अनुपात में 0.50 प्रतिशत की आश्चर्यजनक वृद्धि की थी.

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