केंद्रीय बजट 2021-22: आत्मविश्वास के साथ रणनीति में बदलाव

तरुण बजाज, सचिव, आर्थिक मामलों का विभाग

“आप सिर्फ खड़े होकर पानी को निहारते रहने से समुद्र को पार नहीं कर सकते” -रविंद्रनाथ टैगोर

यह उद्धरण,उथल-पुथल भरे वर्ष 2020 के दौरान प्रत्येक भारतीय द्वारा दिखाए गए धीरज, संकल्प और सहनीयता को स्पष्ट करता है। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ केवल 36 रन पर पूरी टीम का आउट होना, पूरे आत्म-विश्वास के साथ अगले मैच को ड्रॉ कराना तथा अंतिम मैच में आक्रामक जीत के साथ सीरीज भी जीत लेना – भारतीय टीम के हाल के प्रदर्शन में भी यही भावना प्रतिध्वनित होती है।वर्ष 2021-22 का केंद्रीय बजट, 130 करोड़ भारतीयों की प्रतिज्ञा और क्षमता में इस विश्वास को फिर से जागृत करता है, ताकि वे कार्य करना जारी रखें तथा सफलता प्राप्त करें।यहअर्थव्यवस्था को गति देने के लिए रणनीति को बदलने का एक अच्छा प्रयास है –महत्वपूर्ण सुधार करने के बाद मजबूती लाना और फिर गति को तेज करना। यह रणनीति में विवेकपूर्ण बदलाव को दर्शाता है।

सदी-में-एक-बार आने वाली वैश्विक महामारी के बीच बजट 2021-22 की घोषणा की गयी है। इससे पहले वर्ष 2020-21 मेंमिनी-बजट की एक श्रृंखला घोषित की गयी थी, जिसमें मुख्य रूप से कमजोर वर्गों की सहायता करने, कॉर्पोरेट संकट को समाप्त करने तथा सुधारों के सिलसिले को जारीरखने पर ध्यान केंद्रित किया गया था। महामारी को प्रभावी रूप से नियंत्रित किया गया है और मरीजों के ठीक होने की उच्च दर के साथ दैनिक नए मामलों में गिरावट ने महामारीकी दूसरी लहर की आशंकाओं को लगभग ख़त्म कर दिया है। कोविड वैक्सीन के आने से स्वास्थ्य के मोर्चे पर आशा का संचार हुआ है। ठीक इसी तरह,केंद्रीय बजट2021-22 में महत्वपूर्ण रणनीतिक बदलाव किये गए हैं, जो अर्थव्यवस्था के लिए एक बूस्टर डोज के समान हैं और जिनमें निवेश और बुनियादी ढांचे के खर्च पर अत्यधिक जोर दिया गया है।

महामारी के कारण स्वास्थ्य क्षेत्र पर सबसे अधिक ध्यान दिया गया है और इसके लिए, स्वाभाविक रूप से, पिछले वर्ष के बजट परिव्यय की तुलना में लगभग 2.4 गुना वृद्धि की गयी है। अधिक महत्वपूर्ण यह है किबजट स्वास्थ्य और कल्याण के समग्र दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करता है – स्वास्थ्य देखभाल में संस्थागत क्षमता विकसित करना; मिशन पोषण2.0 के माध्यम से पोषण संबंधी परिणामों में सुधार करना; जल जीवन मिशन (शहरी) और स्वच्छ भारत मिशन के जरिये स्वच्छ जल की उपलब्धता बढ़ानाव स्वच्छता की स्थिति को बेहतर करना और शहरी केंद्रों में स्वच्छ वातावरणसुनिश्चित करना।प्रदूषण को कम करने के उपाय के तहत पुराने और अनुपयोगी वाहनों को हटाने के लिए स्वैच्छिक रद्दी माल (स्क्रैपिंग) नीति की घोषणा की गयी है। कोविड-19 वैक्सीन के लिए 35,000 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई है।इसके साथ ही यदि आवश्यकता हुई, तो अतिरिक्त धनराशि प्रदान करने की भी प्रतिबद्धता जताई गयी है।

बजट, विशेष रूप से बुनियादी ढांचे में सार्वजनिक निवेशके गुणक प्रभाव को स्वीकार करता है, जिससे निजी निवेश में तेज वृद्धि और मध्यम अवधि में उत्पादक और विकास क्षमता में बढ़ोतरी की संभावना बनती है। वित्त वर्ष 2020-21(बीई) की तुलना में वित्त वर्ष 22 के लिए पूंजीगत व्यय के बजट में 34.5 प्रतिशत की वृद्धि की गयी है, – रेलवे, सड़क, शहरी परिवहन, बिजली, दूरसंचार, वस्त्र और किफायती आवास पर विशेष ध्यान देने के साथ राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन पर विशेष बल दिया गया है। यह आवंटन, उस 2 लाख करोड़ रुपये की धनराशि के अतिरिक्त है, जो केंद्रीय अनुदान वाले राज्यों और स्वायत्त निकायों को दिए जाएंगे। सीपीएसई के पूंजीगत व्यय को चालू वर्ष की तुलना में एक बड़ी वृद्धि के रूप में देखा जाना चाहिए। यह भी बुनियादी ढांचे में निवेश के लिए एक बूस्टर डोज सिद्ध होगा। बुनियादी ढांचे में परिव्यय के लिए कई नए उपायों की परिकल्पना की गई है, जैसेनया विकास वित्त संस्थान, सार्वजनिक अवसंरचना परिसंपत्ति मुद्रीकरण, पाइपलाइन, शहरी परिवहन और पत्तनों में पीपीपी, अवसंरचना निवेश ट्रस्टों (आईएनवीआईटीएस) का ऋण वित्तपोषण और रियल एस्टेट निवेश ट्रस्ट (आरईआईटी), दीर्घावधि अवसंरचनापरियोजनाओं के वित्तपोषण की लिए अवसंरचना ऋण कोष (आईडीएफ) द्वारा शून्य ब्याज दर पर बांड जारी करना तथाअंतर्राष्ट्रीय सॉवरेनसंपत्ति कोष और पेंशन कोष के लिए नियमों को युक्तिसंगत बनाना, ताकि वे भारत की अवसंरचनापरियोजनाओं में निवेश कर सकें आदि।

’संकट’ को एक अवसर के रूप में बदल देने का विश्वास संरचनात्मक सुधारों की गति को बनाए रखने में स्पष्ट दिखायी देता है।सिंगल सिक्योरिटीज मार्केट कोड, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और जनरल इंश्योरेंस कंपनी के निजीकरण, बैंकों के स्ट्रेस्ड लोन की समस्या के समाधान के लिए एसेट रिकंस्ट्रक्शन और मैनेजमेंट कंपनियों की स्थापना, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों केपुनर्पूंजीकरण के लिए पर्याप्त आवंटन सुनिश्चित करने, विश्वस्तरीय फिनटेक हब के रूप में जीआईएफटी – आईएफएससी को बढ़ावा देनाऔर बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की सीमा को 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 74 प्रतिशत करने सहित वित्तीय क्षेत्र के लिए कई प्रगतिशील कदम उठाये गये हैं।बैंकों और बीमा कंपनियों से जुड़े इन उपायों से स्वतंत्रता बढ़ेगी, एक पेशेवर दृष्टिकोण आएगाऔर बैंकिंग एवं बीमा उद्योगों के भीतर संचालन तथा वित्तीय क्षमता में सुधार होगा। डिस्कॉम को उन्नत बनाने और बिजली वितरण के क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के लिए सुधार –आधारित औरनतीजों से संबद्ध बिजली वितरण की एक नवीन योजना की परिकल्पना भी की गई है।यह सुधार, जिसे शायद सार्वजनिक चर्चाओं में उपयुक्त स्थान नहीं मिला है, सरकार के सबसे साहसिक सुधारों में से एक है, जो एक पैकेज के रूप में दक्षता, लागत में कमी और व्यापार करने में आसानी को सुनिश्चित करता है। आत्मनिर्भर भारत में घोषित पीएलआई योजना अब अगले पांच वर्षों में 2 लाख करोड़ रुपये के आवंटन के साथ और अधिक मजबूत हुई है। इसके अलावा, चार रणनीतिक क्षेत्रों में सार्वजनिक उपक्रमों के लिए स्पष्ट रूप से परिभाषित भूमिका से लैस एक पुनर्गठित विनिवेश कार्यक्रम, निवेश की गई पूंजी के आवंटन और उत्पादक दक्षता को बढ़ाने के सरकार के संकल्प को दर्शाता है।बजटमें प्रत्यक्ष कर से जुड़े प्रस्ताव अनुपालन संबंधी बोझ, फेसलेस असेस्मेंट और अपीलों को कम करने और स्टार्टअप एवं वन पर्सन कंपनियों के लिए छूट बढ़ाने के माध्यम से निवेश को प्रोत्साहित करते हैं।

जिस तरह इस महामारी ने समाज और अर्थव्यवस्था के हर वर्ग के धैर्य और दिलेरी की परीक्षा ली, वैसे ही सरकार द्वारा किये गये व्यय ने वित्तीय वर्ष 2020-21 में कठिनाइयों और संकुचन को कम किया। वित्तीय वर्ष 2020-21 में सकल घरेलू उत्पाद का 9.5 प्रतिशत और वित्तीय वर्ष 2021-22 में 6.8 प्रतिशतका अनुमानित राजकोषीय घाटा, अपने खातों में पारदर्शिता को बढ़ावा देने के सरकार के संकल्प का स्पष्ट प्रमाण है।यह खाद्य सब्सिडी और उर्वरक सब्सिडी की बकाया राशि को मंजूरी देने और बजटीय परिव्यय के माध्यम से उन्हें वित्तपोषित करने के एक साहसिक निर्णय को दर्शाता है। वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए अतिरिक्त बजटीय संसाधनों को शून्य कर दिया गया है। इसके अलावा, ये आंकड़े जीडीपी की मामूली वृद्धि के रूढ़िवादी और यथार्थवादी अनुमानों के आधार पर 14.4 प्रतिशत और सकल कर राजस्व में 16.7 प्रतिशत की वृद्धि पर आधारित हैं, जो राजकोषीय विवरणों को और अधिक विश्वसनीयता प्रदान करते हैं। अधिक से अधिक विनिवेश और परिसंपत्तियों के मुद्रीकरण से प्राप्त आय, व्यय के बेहतर प्रबंधन और कराधान के मोर्चे पर अनुपालन में वृद्धि, जैसा हाल में जीएसटी के मासिक संग्रह को नई उंचाइयों तक पहुंचते हुए देखा गया है, के जरिएराजकोषीय समेकन की ओर लौटते हुए वित्तीय वर्ष 2025-26 तक राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद के 4.5 प्रतिशत तक लाने की परिकल्पना की गयी है।सरकार राजकोषीय विवेक को अपनाने और विकास को अपेक्षित प्रोत्साहन देने के लिए प्रतिबद्ध है।

इस बजट का लक्ष्य न केवल संवर्धित व्यय के माध्यम से विकास को फिर से जीवंत बनाना है, बल्कि इसे और अधिक उत्पादक पूंजी निवेश की ओर लक्षित करके रोजगार पैदा करना और मध्यम से लेकर दीर्घावधि में उत्पादन को बढ़ाना है।व्यक्तिगत और कॉरपोरेट करों को अपरिवर्तित रखना नीतिगत स्थिरता और उपभोग की मांग का समर्थन करने की दिशा में एक कदम है। वैक्सीन की त्वरित शुरुआत, संपर्क के लिहाज से संवेदनशील माने जाने वाले क्षेत्रों के पुनरुद्धार को गति देगा।कुल मिलाकर, बजट 2021 – 22 अर्थव्यवस्था के सभी हितधारकों को विकास के लिए प्रोत्साहित करने औरआत्मनिर्भर भारत के संकल्प को साकार करनेकी दिशा में एक अच्छा संतुलन बनाता है – आशा और प्रतिज्ञा की भूमि नए दशक मेंप्रवेश के लिए तैयार है!

(ये लेखक के व्यक्तिगत विचारहैं और उस संगठन के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं जिससे वे संबंधित हैं।)

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