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इंडियन इकोनॉमी को लेकर आईएमएफ ने दी खुशखबरी, जानिए जीडीपी को लेकर क्या कहा?

नई दिल्ली। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की तरफ से चालू कैलेंडर ईयर के लिए दूसरी मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी के फैसलों की घोषणा की गई। आरबीआई गवर्नर ने कहा, वित्त वर्ष 2022 में जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 10.5 फीसदी पर बरकरार है। उनके मुताबिक, वित्तीय वर्ष 22 में रियल जीडीपी ग्रोथ 10.5 फीसदी रहने की संभव है। इस बीच अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने कहा है कि ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि भारत में आर्थिक गतिविधियां सामान्य होने लगी हैं। यह इंडियन इकोनॉमी के लिए राहत की खबर है।

उल्लेखनीय है कि मुद्राकोष ने मंगवार को अपने एक अनुमान में भारत की आर्थिक वृद्धि में चालू वित्त वर्ष में इसके शानदार 12.5 फीसदी तक रहने का अनुमान लगाया है। यह दर चीन से भी ऊंची रहेगी। चीन एक मात्र ऐसी बड़ी अर्थव्यवस्था थी जिसने 2020 में वृद्धि दिखाई है। मुद्रा कोष और विश्व बैंक की ग्रीष्मकालीन वार्षिक बैठकों से पहले गीता गोपीनाथ ने कहा कि भारत के बारे में , ‘पिछले दो एक महीनों से हमें जो प्रमाण मिल रहे हैं उससे दिखता है कि आर्थिक गतिविधियां सामान्य हो रही हैं।’

मुद्राकोष ने अपनी वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक शीर्षक रपट में कहा है कि अगले वित्त वर्ष (2022-23) में भारत की आर्थिक वृद्धि 6.9 फीसदी रहेगी। कोविड19 महामारी से प्रभावित 2020-21 में भारतीय अर्थव्यवस्था में अनुमानित रूप से 8 फीसदी का रिकार्ड संकुचन हुआ है। गोपीनाथ ने एक सवाल के जवाब में कहा कि ‘भारत के संबंध में हमने बहुत हल्का संशोधन किया है जो 2021-22 के लिए एक फीसदी है। मु्द्राकोष से पहले चालू वित्त वर्ष में भारत के सकल घरेलू उत्पादन में 2020-21 की तुलना में 11.5 फीसदी की वृद्धि का अनुमान लगाया था।

इधर भारतीय रिजर्व बैंक ने बुधवार को कहा कि उसे उम्मीद है कि चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में खुदरा मुद्रास्फीति 5.2 फीसदी पर रहेगी। रिजर्व बैंक ने मार्च में खत्म हुई तिमाही के दौरान मुद्रास्फीति के अनुमान को घटाकर पांच फीसदी कर दिया है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को चालू वित्त वर्ष की पहली नीतिगत समीक्षा की घोषणा करते हुए कहा कि प्रमुख मुद्रास्फीति फरवरी 2021 में पांच फीसदी के स्तर पर बनी रही, हालांकि कुछ कारक सहजता की ऊपरी सीमा को तोड़ने की चुनौती उत्पन्न कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आगे चलकर खाद्य मुद्रास्फीति की स्थिति मानसून की प्रगति पर निर्भर करेगी।

उन्होंने कहा कि इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए वित्त वर्ष 2020-21 की चौथी तिमाही में सीपीआई मुद्रास्फीति को संशोधित कर पांच फीसदी किया गया है। इसी तरह महंगाई दर के अनुमान वित्त वर्ष 2021-22 की पहली और दूसरी तिमाही के लिए 5.2 फीसदी, तीसरी तिमाही के लिए 4.4 फीसदी और चौथी तिमाही के लिए 5.1 फीसदी हैं. इससे पहले केंद्रीय बैंक ने 2020-21 की चौथी तिमाही में खुदरा मुद्रास्फीति के 5.2 फीसदी रहने का अनुमान जताया था।

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