कोरोना के चलते मूडीज ने भारत की जीडीपी ग्रोथ अनुमान में की भारी कटौती, बढ़ सकता है सरकार पर कर्ज!

नई दिल्ली। देश में कोरोना की दूसरी लहर के चलते आर्थिक गतिविधियों पर असर पड़ा है. ऐसे में रेटिंग एजेंसी मूडीज ने अपनी ताजा रिपोर्ट में देश की आर्थिक वृद्धि के अनुमान को घटा दिया है. इसी के साथ उसने सरकार पर कर्ज का बोझ बढ़ने के भी संकेत दिए हैं.

पहले था 13.7% की वृद्धि का अनुमान
एक न्यूज एजेंसी की खबर के मुताबिक फरवरी में मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने अपने आउटलुक में देश की आर्थिक वृद्धि दर वित्त वर्ष 2021-22 (अप्रैल 2021-मार्च 2022) में 13.7% रहने का अनुमान जताया था. इसी के साथ आधिकारिक आंकड़ों के आधार पर वित्त वर्ष 2020-21 (अप्रैल 2020-मार्च 2021) के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था में 8% की गिरावट रहने का अनुमान जताया था. लेकिन अब कोरोना के चलते उसने अपने इस अनुमान को बदल दिया है.

4.4% घटाया ग्रोथ रेट
मूडीज इन्वेस्टर सर्विस ने चालू वित्त वर्ष के लिए देश की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान घटाकर 9.3% कर दिया है. यह उसके फरवरी में जताए गए 13.7% के अनुमान से 4.4% कम है. देश में कोरोना की दूसरी लहर के चलते विभिन्न राज्यों में आंशिक या पूर्ण लॉकडाउन लगा है, इससे आर्थिक गतिविधियां बड़े पैमाने पर प्रभावित हुई हैं. इसी के चलते उसने ग्रोथ रेट कम किया है.

अगले वित्त वर्ष में 7.9% की दर से बढ़ेगी अर्थव्यवस्था
हालांकि मूडीज ने वित्त वर्ष 2022-23 में देश की आर्थिक वृद्धि में सुधार के संकेत दिए हैं. रॉयटर्स की खबर के मुताबिक मूडीज ने अगले वित्त वर्ष के आर्थिक वृद्धि के अनुमान को 6.2% से बढ़ाकर 7.9% कर दिया है. वहीं दीर्घावधि में देश की आर्थिक वृद्धि दर 6% रहने का अनुमान जताया है.

निचले स्तर पर बनाए रखी है क्रेडिट रेटिंग
कोरोना की बढ़ती रफ्तार के चलते मूडीज ने भारत की क्रेडिट रेटिंग को ‘Baa3’ लेवल नकारात्मक आउटलुक के साथ बरकरार रखा है. इसकी वजह उसने बढ़ता कर्ज, आर्थिक वृद्धि में बाधाएं और कमजोर वित्तीय प्रणाली को बताया है. एजेंसी का कहना है कि देश के पॉलिसी मेकर और संस्थान इन जोखिमों से पार पाने में संघर्ष कर रहे हैं.

बढ़ सकता है सरकार का घाटा और कर्ज
मूडीज ने देश के राजकोषीय घाटे पर भी कोरोना की इस लहर के असर का अनुमान जताया है. उसका अनुमान है कि 2021-22 में देश का राजकोषीय घाटा जीडीपी के 11.8% तक पहुंच सकता है. फरवरी में उसने ये 10.8% रहने की बात कही थी.
मूडीज का कहना है कि धीमी आर्थिक वृद्धि और बढ़ते राजकोषीय घाटे से सरकार पर कर्ज का बोझ 2021-22 में जीडीपी का 90% और 2022-23 में बढ़कर 92% हो सकता है.

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