लक्ष्मीबाई के बलिदान दिवस पर अ.भा.ऑनलाइन कवि सम्मेलन

प्रगति मंगला संस्था ने कराया गूगल मीट पर क. भा.कवि सम्मेलन

महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी महारानी लक्ष्मीबाई के बलिदान दिवस पर साहित्यिक संस्था प्रगति मंगलाएटा के तत्वावधान में गूगल मीट पर एक अ. भा.ऑन लाइन कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता एटा के वरिष्ठ पत्रकार नेत्रपाल सिंह चौहान ने की। संचालन व सरस्वती वंदना पटल संचालक व कवयित्री नीलम कुलश्रेष्ठ गुना म.प्र. ने की।
कवि सम्मेलन का प्रारंभ करहल की युवा कवयित्री शिवालिनी यादव ने लक्ष्मीबाई पर कविता पढ़ते हुए कहा-
तुम जैसी वीर अजित शौर्या अन्यंत्र न कोई नारी है।
भारत मां की संतान सदा ही युग युग ऋणी तुम्हारी है।।
जिरसिमी,एटा की कवयित्री सीमा पुण्ढीर ने इस अवसर पर अपनी श्रांगारिक रचनाएं पढते हुए कहा-
तुमको मेरे दिल की धड़कन सौ सौ बार बुलाती है।
याद तेरी चुपके से आकर सारी रात रुलाती है।
नीतू यादव आजमगढ़ ने रानी लक्ष्मीबाई की शान में पढा-
मेरे देश की नारी जागो,अब काली सा अवतार धरो।
लक्ष्मीबाई सा रण में अब दुश्मन का संहार करो।
वरिष्ठ कवयित्री पुष्पा राठौर फरीदाबाद ने अपनी गजल के माध्यम से कहा-
ग़मे जिन्दगी को भुलाकर तो देखो।
मेरे पास एक बार आकर तो देखो।।
खटीमा उ.खण्ड के ओज के कवि राम रतन यादव ने सैनिकों के सम्मान में रचना पढ़ते हुए कहा-
अब जागो वीर जवानों तुम, भारत माँ तुम्हें बुलाती है |
गोदी में जिसकी खेले तुम वह माता तुम्हें उठाती है ||
वरिष्ठ गीतकार विजय चतुर्वेदी आगरा ने अपने गीत के माध्यम से कहा-
देखे हैं बंद शलाखों में,
सीधे सच्चे गूंगे बहरे।
जो महाक्रूर जीवन हंता ,
वे पांच सितारा में ठहरे।
मुम्बई से वरिष्ठ गज़लकार ऊषा भदौरिया ने लक्ष्मीबाई पर गज़ल पढ़ी।उसके बाद अपने सैनिक अधिकारी बेटे को सम्बोधित पंक्तियां पढ़ते हुए कहा-
हौसले चट्टान तेरे, तेरी हिम्मत आसमाँ,
दुश्मनों का सर कुचलने की दुआ देती हूँ।।
शशि यादव,मंज़री चित्रकूट ने रानी लक्ष्मीबाई की ओर से अपनी पंक्तियों के माध्यम से कहा-
हृदय अपना नरम है पर हमें कचनार मत समझो।
इरादों से हूँ मैं मजबूत यूँ लाचार मत समझो।
ग्वालियर की कवयित्री पुष्पा मिश्रा आनंद ने लक्ष्मीबाई पर कविता सुनाते कहा-
बुंदेलखंड की वीर भवानी,
झांसी की रानी कहलाए।
जिसके तेज साहस के आगे
दुश्मन कभी न टिक पाए।।
व्यंग्यकार डॉ मनोज रस्तोगी, मुरादाबाद ने चुनाव और कोरोना पर व्यंग्य पढ़ते हुए कहा-
चुनाव पर यह आपदा तो भारी है
मौतों का सिलसिला लगातार जारी है

संचालक कवयित्री नीलम कुलश्रेष्ठ ने नारियों का आह्वान करते हुए कहा-
इतिहास के पटल पे देखो, लक्ष्मी-सा तुम जीना सीखो,
खलनायक को धूल चटाना, लौह-चने चबवाना सीखो,
गुना म.प्र. की ही युवा कवयित्री सैफाली जैन ने बेटियों की शादी में आने वाली अड़चनों पर कविता पढ़ी।
दिल्ली की कवयित्री आशा दिनकर आश ने माँ पर अपनी भावुक रचना पढ़ी।उन्होंने कहा-
माँ कितने अच्छे थे वो दिन, हम छोटे से होते थे |
धमा-चौकड़ी खूब मचाते, हम थके नहीं होते थे |
हमें कहाँ चिन्ता होती थी, बस माँ के ही सहारे थे |
नहीं भूलते अब भी मुझको, बचपन के दिन प्यारे थे |
इसके अतिरिक्त ओजस्वी कवि बलराम सरस एटा ने कहा-
जौहर रचाया जहां देश हित नारियों ने,
रानी झांसी वाली पर देश को गुमान है।।
,सीता पवन चौहान ने पढ़ा-
मन की सांची को कहे , परहित बोलै कौन।
आँखों में खटका वही, सांची बोला जौन।।|
श्रेष्ठ कवयित्री रेखा भदौरिया ग्वालियर ने लक्ष्मी बाई को अपने मुक्तकों के माध्यम से याद किया साथ ही कोविड के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराते हुए उम्मीद जताई –
कोविड से जीतेगा भारत,नया सवेरा आएगा।
अन्त में अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ पत्रकार ने सभी कवियों की कविताओं की समीक्षा प्रस्तुत की।सभी कवियों को आशीर्वाद प्रदान किया।तथा अपनी एक कविता से कार्य क्रम के समापन की घोषणा की।
संयोजक नीलम कुलश्रेष्ठ ने सभी का आभार व्यक्त किया।

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