सपा के दो कद्दावर पूर्व मंत्रियों के बीच टिकट को लेकर असमंजस की स्थिति में हाईकमान
बाराबंकी। चुनाव आचार संहिता लागू होते ही जिले में राजनैतिक गतिविधियां तेज हो चुकी है । अभी लगभग विधानसभा में राजनैतिक दलों ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं । ऐसे में जब चुनाव अपने रोमांचक दौर में है मतदाताओं की निगाहें सभी दलों में पार्टी के सम्भावित प्रत्याशियों पर टिकी है ।जिले में छ विधानसभा सीटों की बात की जाये तो सबसे अधिक चर्चा रामनगर विधानसभा सीट को लेकर है मौजूदा समय में शरद अवस्थी वहां से भाजपा विधायक हैं। रामनगर सीट पर समाजवादी पार्टी किसे अपना उम्मीदवार बनाती है इस बात को लेकर चर्चाये जोर पकड़ रही है। बताते चलें रामनगर विधानसभा सीट से पूर्व सपा के पूर्व मंत्री एवं समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्य स्व बेनी प्रसाद वर्मा (बाबू जी) के ज्येष्ठ पुत्र राकेश वर्मा की दावेदारी भी मजबूत बताई जा रही है। बताते चलें पूर्वांचल सहित पूरे प्रदेश की एक बड़ी बेल्ट पर बेनी प्रसाद वर्मा का खासा दखल था। जिले में समाजवादी पार्टी को घर पर बैठ कर चलाने वाले बेनी प्रसाद वर्मा का आसपास के जिलों में काफी प्रभाव रहा राजनैतिक जानकारों का तो यहां तक कहना है कि बेनी बाबू राजनीति में असम्भव को भी सम्भव दिखाने का माद्दा रखते थे। बेनी प्रसाद वर्मा के निधन के बाद सक्रिय राजनीति में पूर्व मंत्री राकेश वर्मा के आने के बाद कुर्मी बिरादरी राकेश में बाबू जी का अश्क देखती है ऐसा राजनीति के पंडितों का मानना है। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो बेनी प्रसाद वर्मा की पुण्यतिथि पर पूरे प्रदेश के सपाइयों का जामवाडा़ देख यह तय हो गया था कि बेनी बाबू के निधन के बाद कुर्मियों और उनसे जुड़े तमाम अन्य जातियों के बड़े नेताओं को राजनीति में बेनी बाबू के राजनीतिक वारिस की तलाश पूरी हुई ही साथ ही उन्हें जुड़े तमाम नेताओं को राकेश वर्मा के रूप में मजबूत नेतृत्व की कमी । जानकारों का तो यहां तक कहना है मुलायम और बेनी बाबू की जुगलबंदी ने प्रदेश में समाजवादी किले को जो मजबूती दी थी। ठीक उसी तरह की मजबूती अखिलेश और राकेश की जुगलबंदी दे सकती है। जानकारों का तर्क़ है यादव , कुर्मी, और मुस्लिम आधार वोट बैंक के सहारे राजनैतिक वैतरणी सपा आसानी से पार कर लेती थी। अब जबकि चुनाव की तिथियां घोषित हो चुकी है सारे दल अपने मोहरे बिछाने को बेताब है ऐसे में समाजवादी पार्टी रामनगर विधानसभा में किस पर अपना दांव लगाती है यह तो आने वाला वक्त तय करेगा। वहीँ मंत्री अरविंद सिंह गोप कई बार विधायक रह चुके हैं। प्रदेश में क्षत्रपों के बड़े नेता के तौर पर उभरे गोप की छवि युवा नेता के तौर पर भी देखी जाती है। लखनऊ विश्वविद्यालय छात्र संघ अध्यक्ष के रूप में छात्र राजनीति के बाद मुख्य धारा की राजनीति मे कदम रखा और तीन बार विधायक रहे दो बार प्रदेश की सरकार में मंत्री रहे गोप कभी अमर सिंह के बेहद करीबी रहे। सपा परिवार जब विवादों में घिरी उस वक्त अपनी साफ-सुथरी छवि होने के नाते अखिलेश की वो पहली पसन्द रहे और उनके बेहद करीब भी। एक समय समाजवादी पार्टी में रधुराज प्रताप सिंह राजा भैय्या क्षत्रपों के बड़े नेता के रूप में उभरे किन्तु दबंग छवि होने के नाते अखिलेश उन्हें नापसंद करते थे महाराणा प्रताप जयंती पर अरविंद सिंह गोप को क्षत्रपों का सर्वमान्य चेहरा बनाकर और गोप की मांग पर क्षत्रपों के सम्मान को लेकर उस दिन अवकाश की घोषणा कर अखिलेश ने प्रदेश की जनता को यह संदेश दे दिया कि गोप ही क्षत्रपों के सर्व मान्य नेता के तौर पर समाजवाद की कमान सम्भालेगे ।गोप लगातार रामनगर की जनता के बीच जा रहे हैं और अपनी मजबूत दावेदारी जता रहे। जब कि इसी सीट पर टिकट किसी एक को ही मिलना है। लेकिन जिले में यह चर्चा आम है कि समाजवादी पार्टी अरविंद सिंह गोप को अपना प्रत्याशी बनाती है या राकेश वर्मा को। अगर टिकट न मिलने की स्थिति में दूसरा कद्दावर नेता किसी दूसरे दल का दामन थामेगा ऐसी भी चर्चाएं जोर पकड़ रही है ।



