जिसे श्री राम-जानकी जी प्यारे नहीं, उसे करोड़ों शत्रुओं के समान छोड़ देना चाहिए : गौरव गर्ग

गाजियाबाद। संवाददाता।

यह सत्य है कि जिस व्यक्ति को श्री राम-जानकी जी से प्यार नहीं होता उस व्यक्ति को जैसे हम अपने शत्रु को छोड़ देते हैं ठीक उसी तरह उस व्यक्ति को छोड़ देना चाहिए, चाहे वह अपना अत्यंत ही प्यारा क्यों न हो, भाजपा नेता गौरव गर्ग कहते हैं कि प्रह्लाद ने अपने पिता हिरण्यकशिपु को विभीषण ने अपने भाई रावण को और ब्रज-गोपियों ने अपने-अपने पतियों को त्याग दिया, परंतु ये सभी आनंद और कल्याण करने वाले हुए,
जितने सुहृद् और अच्छी तरह पूजने योग्य लोग हैं, वे सब श्री रघुनाथ जी के ही संबंध और प्रेम से माने जाते हैं, बस अब अधिक क्या कहूं, जिस अंजन के लगाने से आंखें ही फूट जाएं वह अंजन ही किस काम का, मतलब साफ है कि जो वयक्ति या जो चीज हमारे लिए और सबके लिए घातक हो तो उससे दूरी बनाना चाहिए,
तुलसी जी ने कहा है कि जिसके संग या उपदेश में श्री रामचंद्र जी के चरणों में प्रेम हो, वही सब प्रकार से अपना परम हितकारी, पूजनीय और प्राणों से भी अधिक प्यारा है, हमारा तो यही मत है।

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