सचिवालय में हथियारों की ‘एंट्री’ पर नहीं है रोक! सुरक्षा के नाम पर खानापूर्ति
लखनऊ। क्या सचिवालय भवनों में फिर किसी हादसे का इंतजार है? सुरक्षा के जिम्मेदार अफसरों के रवैये से तो ऐसी आशंका बन गई है। वजह यह है कि सुरक्षा के नाम पर केवल खानापूरी हो रही है। मुख्यमंत्री के निर्देश के बावजूद अब तक समुचित सुरक्षा प्रबंध नहीं किये गये हैं।
करीब एक माह पहले बापू भवन में अवकाश के दिन नगर विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव रजनीश दुबे के निजी सचिव रहे विशंभर दयाल ने खुद को गोली मारकर आत्महत्या का प्रयास किया था, जिसकी बाद में अस्पताल में मौत हो गई थी। इस हादसे के दौरान सचिवालय की सुरक्षा पर सवाल खड़े हो गये थे, क्योंकि हथियार पर रोक के बावजूद निजी सचिव लाइसेंसी रिवाल्वर के साथ बापू भवन में प्रवेश कर गये थे।
इस घटना को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गंभीरता से लिया था। उन्होंने इस घटना से सबक लेते हुए सचिवालय समेत सभी सरकारी भवनों की सुरक्षा करने के पुख्ता इंतजाम करने के निर्देश दिये थे। उन्होंने सचिवालय भवनों पर विशेष सुरक्षा बल तैनात किये जाने पर जोर दिया था।
सचिवालय की सुरक्षा को लेकर अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी व अपर मुख्य सचिव सचिवालय प्रशासन हेमंत राव की संयुक्त अध्यक्षता में बैठक हुई जिसमें सुरक्षा को एक समिति का गठन किया और उसे शीघ्र रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिये गये। सूत्रों के अनुसार सुरक्षा के लिए बनी समिति ने अपनी रिपोर्ट अपर मुख्य सचिव गृह को सौंप दी है। इसके बाद अभी तक सुरक्षा व्यवस्था में बदलाव नहीं किया गया है।
इस सिलसिले में पूछे जाने पर अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी ने कहा कि समिति की रिपोर्ट पर कुछ सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाई जा रही है, आगे और पुख्ता इंतजाम किये जाएंगे, पर सुरक्षा किस तरह होगी, इस सवाल पर उन्होंने कहा कि यह जनता को बताने का विषय नहीं है। सचिवालय प्रशासन विभाग के अपर मुख्य सचिव हेमंत राव ने सुरक्षा व्यवस्था पर कोई जानकारी नहीं दी।
सूत्रों का कहना है कि निजी सचिव की आत्महत्या की घटना के बाद व वर्तमान में सुरक्षा प्रबंध में कोई बदलाव नहीं किया गया है। सचिवालय भवनों पर जांच के लिए मेटल डिटेक्टर जैसे संसाधन अभी तक उपलब्ध नहीं कराये गये हैं। प्रवेश द्वार पर कार्यरत सुरक्षा कर्मियों को केवल चौकसी बरतने को कहा गया है। संसाधन के अभाव में सुरक्षा कर्मियों को दिक्कतें हो रही हैं।