यजदान की अवैध बिल्डिंग पर फिर शुरू हुई कार्रवाई

लखनऊ : प्राग नारायण रोड स्थित यजदान बिल्डर की अवैध बिल्डिंग को गिराना एक बार फिर से शुरू किया गया है. इस बिल्डिंग को ध्वस्त करने पर रोक लगाने की मांग को उच्च न्यायालय ने ठुकरा दिया है. जिसके बाद प्राधिकरण का दस्ता फिर से मौके पर पहुंचा है. वैसे इस बिल्डिंग को पूरी तरह से ध्वस्त करना है या छोड़ देना है इसका फैसला अब 23 नवंबर को शासन स्तर पर किया जाएगा. हाईकोर्ट से यजदान बिल्डर को कोई राहत नहीं मिली है, लेकिन यह तय हुआ है कि सुनवाई शासन स्तर तक की जाएगी. ऐसे में सचिव आवास पूरे प्रकरण की सुनवाई 23 नवंबर की दोपहर को करेंगे. उनके फैसले के आधार पर लखनऊ विकास प्राधिकरण अब अगली कार्रवाई यजदान बिल्डर की इस अवैध बिल्डिंग के खिलाफ करेगा. शासन के इस फैसले पर इस बिल्डिंग में निवेश करने वाले लोगों की आस बंधी हुई है, जबकि लखनऊ विकास प्राधिकरण इस बात को लेकर पूरी तरह से आशान्वित है कि यह अवैध निर्माण हर हाल में गिरा दिया जाएगा. यजदान बिल्डर मामले पर अब शासन में सुनवाई होगी. 23 नवंबर को सचिव आवास एवं शहरी नियोजन इस प्रकरण पर सुनवाई करेंगे. 23 नवंबर को दोपहर 3:30 बजे सचिव आवास पर सुनवाई करेंगे. गौरतलब है कि यजदान बिल्डर की बिल्डिंग का निर्माण 2016 में शुरू हुआ था. आरोप है कि इस बिल्डिंग को नजूल की जमीन पर बनाया गया है. अफसरों को धोखे में रखकर इसका ना केवल मानचित्र पास कराया गया बल्कि, रेरा में इसका पंजीकरण भी हुआ. इस आधार पर लोग फंसते गए और सभी फ्लैट महंगे दामों पर बिक गए. 2019 में एलडीए ने इसके निर्माण पर रोक लगा दी. इसके साथ ही इसको गिराने का आदेश भी कर दिया गया. लंबे समय तक आदेश को दबाया गया. आखिरकार पिछले सप्ताह इस बिल्डिंग को पूरी तरह से गिराने की कार्रवाई दोबारा शुरू की गई थी. इसको लेकर लखनऊ विकास प्राधिकरण ने तोड़ने वाली एजेंसी को 30 लाख रुपए का ठेका भी दिया था.
इस मामले में बिल्डर और फ्लैट खरीदने वाले लोग हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच की शरण में गए, जहां से उनको कोई राहत नहीं मिली, लेकिन एक बार फिर से शासन स्तर पर सुनवाई की जाएगी. फिलहाल लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष डॉ इंद्रमणि त्रिपाठी का कहना है कि बिल्डर को कोई राहत नहीं मिलने जा रही है. उसके खिलाफ पूरी तरह से सही कार्रवाई हो रही है. जो लोग इसमें फ्लैट खरीदने का दावा कर रहे हैं, उन्होंने 2019 में खरीदे हैं. इससे पहले ही हम अवैध निर्माण पर कार्रवाई शुरू कर चुके थे. किसी को कोई राहत नहीं मिलेगी. हमने फिर से एक्शन शुरू कर दिया है.

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