सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता को ‘चुटकुला’ बताने के दावे को रूस ने किया खारिज
नई दिल्ली। संयुक्त राष्ट्र में रूस के राजदूत ने अमेरिका और यूरोपीय संघ (ईयू) द्वारा सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता को लेकर उस टिप्पणी को खारिज किया है। जिसमें रूस की ओर से सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता को ‘अप्रैल फूल’ का चुटकुला बताए जाने का दावा किया गया था। टिप्पणी को खारिज करते हुए रूस के राजदूत ने सोमवार को कहा कि विदेश मंत्री सर्गेई लवरोव संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों की रक्षा पर एक बैठक की अध्यक्षता करेंगे। हालांकि रूस पर आरोप लगाया जाता है कि उसने यूक्रेन पर हमला कर इन सिद्धांतों का उल्लंघन किया है।
इस पहले अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस ग्रीनफील्ड ने सोमवार को मीडिया से बात करते हुए आशंका जताई थी कि रूस सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता का इस्तेमाल यूक्रेन के संबंध में दुष्प्रचार को फैलाने और अपने एजेंडे को बढ़ाने में करेगा। उन्होंने कहा, “वे जैसे ही ऐसा करने की कोशिश करेंगे वैसी ही हम उसकी निंदा करने के लिए तैयार हैं।” उन्होंने तथा यूरोपीय संघ विदेश नीति प्रमुख जोसेफ बोरेल, दोनों ने रूस की सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता को ‘अप्रैल फूल’ का चुटकुला बताया है।
बता दें कि सुरक्षा परिषद के नियमों के तहत, इसकी अध्यक्षता हर महीने बदलती है और वर्णमाला की व्यवस्था के अनुसार इसके 15 सदस्यों में से किसी को एक मिलती है। रूस के राजदूत वसीली नेबेंजिया ने कहा कि परिषद के नियमों में कोई बदलाव नहीं होगा जिसके पास अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बनाए रखने का जिम्मा है।
उन्होंने कहा कि रूस इसमें ‘एक ईमानदार मध्यस्थ’ है। परिषद के अध्यक्ष इसकी बैठकों की अगुवाई करते हैं और अहम सत्रों के विषयों को तय कराते हैं। इनकी अध्यक्षता अक्सर सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों द्वारा की जाती है या कभी कभी राष्ट्रपति भी इसकी अध्यक्षता करते हैं। लवरोव 24 अप्रैल को ‘‘संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों की रक्षा के माध्यम से प्रभावी बहुपक्षवाद’’ पर सत्र की अध्यक्षता करेंगे।
यूक्रेन को लेकर दुष्प्रचार फैलाने के अमेरिकी आरोप पर नेबेंजिया ने कहा कि यह “पश्चिमी विमर्श है” और जोर दिया कि “हम इसके विपरीत सोचते हैं।” इस बीच यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदीमीर ज़ेलेंस्की ने सुरक्षा परिषद की रूसी अध्यक्षता की निंदा करते हुए इसे सुरक्षा परिषद का ‘दिवालियापन’ बताया और संयुक्त राष्ट्र संस्था तथा अन्य वैश्विक संस्थानों में आमूल चूल परिवर्तन की मांग को दोहराया।