कौशांबी महोत्सव का शुभारंभ करेंगे अमित शाह
कौशांबी। उत्तर प्रदेश के कौशांबी में शुरू होने जा रहे तीन दिवसीय कौशांबी महोत्सव का शुभारंभ केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह करेंगे। इस दौरान उनके साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ के मंत्रिमंडल के अनेक सहयोगी विधायक तथा जाने माने कवि डॉ़ कुमार विश्वास भी मौजूद रहेंगे। महोत्सव के बारे में कार्यक्रम के आयोजक और कौशांबी विकास परिषद के संरक्षक कौशांबी के सांसद विनोद सोनकर ने यह जानकारी दी।
विनोद सोनकर ने बताया कि शुक्रवार से शुरू होने जाने रहे कौशांबी महोत्सव का उद्देश्य कौशांबी के अतीत के गौरवशाली ,वैभवशाली इतिहास एवं पवित्र धार्मिक तीर्थ स्थलों को देश दुनिया के मानचित्र पर लाना है। उन्होंने कहा कि जब आने वाली पीढ़ियां कौशांबी को जानना समझना चाहेंगे तो उन्हें संत परंपरा के कवि मलूक दास, कविमंझन, संदीपन मुनि ,ऋषि रुचि चरक मुनि की प्रेरणा प्रद कविताएं और उपदेश मिलेंगे । विश्व की बेमिसाल पाठशाला संदीपन आश्रम यहां है, जहां कृष्ण और सुदामा साथ साथ रहकर शिक्षा ग्रहण की थी। बौद्ध और जैन तीर्थों का अतीत कौशांबी के खंडहरों में यमुना के 10 किलोमीटर पर्दे में बिखरा हुआ है।
उन्होंने बताया कि कौशांबी की पवित्र भूमि पर ही महात्मा बुद्ध ने वर्षा के चतुर्मास में रहकर सत्य अहिंसा का उपदेश दिया था। जैन धर्म के छठे तीर्थंकर पदमप्रभु की जन्मस्थली भी कौशांबी ही है । देश दुनिया से भारी संख्या में बौद्ध धर्म और जैन धर्मावलंबी प्रभास गिरी कौशांबी वर्ष भर आते जाते रहते हैं। यहां 51 शक्तिपीठों में शामिल शीतला देवी धाम कड़ा है, जो गंगा के तट पर विराजमान है और कौशांबी के निवासियों के योग क्षेमकी जिम्मेदारी स्वयं संभाल रही हैं। यमुना के किनारे कौशांबी के अतीत के गौरवशाली गाथा का बखान खंडहरों में तब्दील महाराज उदयन काराज प्रसाद कर रहा है। यहां आकर महाराज परीक्षित के पुत्र जन्मेजय द्वारा यमुना के किनारे कौशांबी में किया गया सर्प यज्ञ सहसा स्मृति पटल में तरोताजा हो जाता है।
गंगा जमुना के बीच बसी हुई कौशांबी की भूमि की गणना विश्व के उपजाऊ मैदान में की जाती है। धन धान्य से युक्त कौशांबी को आम, अमरूद, नींबू केला सहित फलों की उपज के लिए जाना जाता है। स्वतंत्रता के लिए हुए संघर्ष में अगली पंक्ति में रहने वाली वीरंगाना दुर्गा भाभी जो मुश्किल के दिनों में स्वतंत्रता सेनानियों को गोला बारूद और असलहा पहुंचाने का काम करती थी ,उनकी जन्मस्थली शहजादपुर की याद हमेशा देश प्रेम की भावना को प्रेरित करती है। कड़ा को अलाउद्दीन खिलजी के समय सूबा का दर्जा हासिल था। अकबर के शासन काल में कड़ा को जनपद का दर्जा हासिल हुआ । छोटा मुरादाबाद कही जाने वाली पीतल नगरी शमशाबाद का पीतल उद्योग कभी चरम पर था। यहां 200 से अधिक घरों में पीतल के बर्तन बनाए जाते थे। इस कारोबार से 10,000 से अधिक लोग जुड़े थे जिनकी रोजी-रोटी चलती थी । श्री सोनकर ने बताया कि कौशांबी से समृद्ध शाली इतिहास को कौशांबी महोत्सव के द्वारा देशभर में फिर उसे हर किसी के जेहन में पहुंचाने का प्रयास है।



