Shimla – हिमाचल प्रदेश में 15 सितंबर तक धीमा रहेगा मानसून

Shimla -हिमाचल प्रदेश में सितंबर के महीने में हल्की से मध्यम बारिश देखने को मिली है। आगामी दिनों में मानसून के धीमे रहने से मुसलाधार वर्षा से लोगों को राहत मिलेगी। मौसम विभाग ने इस पूरे हफ्ते बादलों के कम बरसने का अनुमान जताया है।

मौसम विज्ञान केंद्र शिमला द्वारा जारी पूर्वानुमान के मुताबिक आज यानी सोमवार से मानसून की सक्रियता कम रहेगी। आगामी 15 सितंबर तक प्रदेश में कहीं-कहीं हल्की वर्षा होने का अनुमान है। लेकिन इस अवधि में किसी तरह का कोई अलर्ट व चेतावनी जारी नहीं की गई है। राजधानी शिमला सहित राज्य के अधिकांश हिस्सों में सोमवार सुबह से धूप खिली हुई है। रविवार शाम से सोमवार सुबह तक कुछ स्थानों पर हल्की वर्षा हुई है। इस दौरान सोलन जिला के कसौली में सबसे ज्यादा 25 मिमी, शिमला में 18, जुब्बड़हट्टी में 16, कुफ़री में 13, काहू व नैनादेवी में 12-12, सोलन में आठ, धर्मपुर व बिजाही में तीन-तीन और कण्डाघाट में दो मिमी वर्षा रिकार्ड की गई।

राज्य में इस बार मानसून की सामान्य से 21 फीसदी कम बारिश हुई है। मानसून ने 26 जून को सूबे में दस्तक दी थी। अक्टूबर के पहले हफ्ते तक मानसून के विदा होने की उम्मीद है।

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भूस्खलन से अवरुद्ध 62 सड़कें नहीं हुई बहाल, 17 बिजली ट्रांसफार्मर खराब

पिछले दिनों हुई भारी वर्षा से अवरुद्ध हुई कई सड़कें अभी तक बहाल नहीं हो पाई हैं। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के मुताबिक सोमवार सुबह तक 62 सड़कें अवरुद्ध हैं। हालांकि राज्य के सभी नेशनल हाइवे पर वाहनों की आवाजाही सुचारू रूप से जारी है। शिमला जिला में सबसे ज्यादा 30 सड़कें बंद पड़ी हैं। इनमें रोहड़ू व कोटखाई उपमंडल की नौ-नौ सड़कें, रामपुर उपमंडल की सात, शिमला ग्रामीण की तीन और चौपाल की दो सड़कें शामिल हैं। मंडी जिला में 16, कांगड़ा में 10, कुल्लू में दो, सिरमौर, ऊना व किन्नौर में एक-एक सड़क बंद है। कांगड़ा और ऊना में एक-एक पुल भी भूस्खलन से क्षतिग्रस्त है। इसके अलावा शिमला में सात, कुल्लू में छह और चम्बा में चार ट्रांसफार्मरों के खराब होने से बिजली आपूर्ति गुल है।

मानसून सीजन में 184 घर और 58 दुकानें धराशायी, 289 लोगों की गई जान

मानसून सीजन में सामान्य से कम वर्षा के बावजूद जान-माल का भारी नुकसान हुआ है। बादल फटने, बाढ़ आने व भूस्खलन से सामान्य जनजीवन बुरी तरह प्रभावित रहा। बीते 74 दिनों में 186 घर, 58 दुकानें और 490 पशुशालाएँ धराशायी हुईं। इसके अलावा 536 घरों को आंशिक तौर पर नुकसान पहुंचा। इस अवधि में वर्षा से जुड़ी घटनाओं में 289 लोगों की जान गई जबकि 30 लापता हुए। इस दौरान ज्यादातर नुकसान बादल फटने की वजह से हुआ।

राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के अनुसार बीते सवा दो माह में राज्य में बादल फटने, बाढ़ व भूस्खलन की 93 घटनाएं हुईं, जिनमें 122 घर क्षतिग्रस्त हुए और 36 लोगों की मौत हुई। 31 जुलाई की मध्यरात्रि शिमला, कुल्लू और मंडी जिलों में बादल फटने से भारी तबाही हुई थी। बादल फटने से आई बाढ़ ने शिमला जिला के समेज गांव का नामोनिशान मिटा दिया था। इस दिलदहलाने वाली आपदा में गांव के 36 लोग लापता हुए थे। इनमें 21 के शव बरामद कर लिए गए हैं, जबकि 15 का अभी तक कोई सुराग नहीं मिल पाया है।

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