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उत्तराखंड सरकार के नुमाइंदे ही तोड़ रही है कोरोना गाइडलाइन, सल्ट उपचुनाव के नामांकन में जमा की भीड़

अल्मोड़ा। उत्तराखंड में कोरोना महामरी जिस तरह से अपना पैर पसार रहा है, उसे लेकर सूबे की तीरथ सरकार की चिंता मात्र दिखावा नजर आ रही है। चुनावी जनसभा और रैलियों को लेकर सरकार के नुमाइंदे ही कोरोना नियमों धजियां तोड़ रहे हैं। होली आयोजन के लिए एसओपी जारी की गई थी। इसमें सार्वजनिक कार्यक्रम स्थलों में पचास फीसद क्षमता तक ही लोगों को जमा होने की अनुमति दी गई थी। अधिकतम भीड़ की सीमा सौ व्यक्ति की गई थी।

वहीं, देहरादून में ऐतिहासिक झंडे के मेले में दुकानें झूले प्रतिबंधित कर दिए गए। झंडे का मेला दो अप्रैल से शुरू हो रहा है। मेले में भी अधिक भीड़ न जुटाने और बाहर के लोगों को कोरोना निगेटिव रिपोर्ट साथ लाना जरूरी कर दिया गया है। इसके साथ ही सरकार ने कोरोना से ज्यादा प्रभावित राज्यों के उत्तराखंड में आने वालों के लिए कोरोना निगेटिव रिपोर्ट को अनिवार्य करने पर मंथन कर रही है। इन सबके बावजूद कोरोना कैसे थमेगा जब राजनीतिक जनसभाओं में भीड़ के मानक तय नहीं हैं। यहां तो हजारों की भीड़ जमा हो रही है।

अल्मोड़ा में भाजपा ने जुटाई भीड़

उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में सल्ट विधानसभा सीट के उपचुनाव के लिए आज भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशियों ने नामांकन किया। इसके बाद भाजपा ने स्याल्दे छ्यानी बगड़ में विशाल जनसभा आयोजित की। इस दौरान भारी भीड़ जुटाई गई। भीड़ को देखने से नहीं लगता कि प्रदेश में कोरोना के लिए कोई नियम बने हैं। क्योंकि भीड़ में लोगों ने शायद ही मास्क लगाए हों। वहीं नेताओं के मास्क भी कई बार उतरे हुए नजर आए। अब कांग्रेस ने भी तीस स्टार प्रचारकों की सूची जारी कर दी।

इसमें सोनिया गांधी, प्रियंका, राहुल गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का नाम शामिल है। यदि ये नेता भी रैली करते हैं तो इनकी सभाओं में भी भारी भीड़ जुटेगी। ऐसे में तो ये ही मान लिया जाए कि शादी समारोह, नामकरण, मुंडन, धार्मिक आयोजन, तेहरवीं, बरसी आदि से ही कोरोना होता है। राजनीतिक जनसभाओं से कोरोना नहीं फैल सकता है।भा जा पा नेताओं को जब कोरोना की गाइड लाइन खुद ही तोड़नी है तो नियम का पालन किससे कराना है ।

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