Jaipur- डॉ. किरोड़ीलाल मीणा का सरकारी बंगला निरस्त, मंत्री पद के बावजूद निजी आवास में रहने का फैसला

Jaipur-  राजस्थान सरकार ने कैबिनेट मंत्री किरोड़ीलाल मीणा को आवंटित सरकारी बंगले का आवंटन निरस्त कर दिया है। उन्हें फरवरी 2024 में जयपुर की हॉस्पिटल रोड स्थित बंगला नंबर-3 आवंटित किया गया था, लेकिन उन्होंने खुद ही सामान्य प्रशासन विभाग से इसे निरस्त करने का आग्रह किया था।
गौरतलब है कि किरोड़ीलाल मीणा ने मंत्री बनने के बाद से ही सरकारी बंगले में रहने के बजाय अपने निजी आवास को प्राथमिकता दी। यही नहीं, उन्होंने सरकारी गाड़ी भी लौटा दी थी। लोकसभा चुनाव के बाद जब उन्होंने इस्तीफे की पेशकश की थी, तब से ही वह अपनी ही सरकार के खिलाफ लगातार मुखर रहे हैं।
सरकारी आवास की पृष्ठभूमि
पिछले साल सरकार ने सबसे पहले सिविल लाइंस में बंगला नंबर-14 उन्हें आवंटित किया था, लेकिन उसमें पूर्व उपराष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत का परिवार रह रहा था। इसके बाद हॉस्पिटल रोड पर बंगला नंबर-3 आवंटित किया गया, जो पहले पूर्व मंत्री ममता भूपेश को दिया गया था।
सामान्यत: मंत्रियों को सिविल लाइंस, हॉस्पिटल रोड और गांधी नगर में सरकारी बंगले दिए जाते हैं। इनमें सिविल लाइंस के बड़े बंगले सबसे अधिक मांग में रहते हैं।
किरोड़ीलाल मीणा की सरकार से दूरी
लोकसभा चुनाव में पार्टी की हार के बाद किरोड़ीलाल मीणा ने मंत्री पद से इस्तीफा देने की घोषणा कर दी थी। हालांकि, उनका इस्तीफा मुख्यमंत्री ने स्वीकार नहीं किया। उन्होंने 4 जुलाई 2024 को जयपुर में एक धार्मिक कार्यक्रम के दौरान मीडिया को बताया कि उन्होंने 8 और 25 जून को इस्तीफा भेजा था।
इस्तीफे के बाद उन्होंने सरकारी गाड़ी छोड़ दी और इसके बाद से वे लगातार सरकार की आलोचना कर रहे हैं। वे विधानसभा की कार्यवाही में भी भाग नहीं ले रहे हैं और एसआई पेपर लीक जैसे मुद्दों को लेकर सरकार को घेरते रहे हैं।
फोन टैपिंग के आरोप
पिछले महीने ही उन्होंने सरकार पर फोन टैपिंग के आरोप लगाए थे। उन्होंने कहा कि सरकार उनकी जासूसी करा रही है और फोन टैप करवा रही है। इसके बाद पार्टी ने उन्हें नोटिस जारी किया था, जिसका जवाब देते हुए उन्होंने स्वीकार किया कि मुझसे गलती हुई थी। लेकिन इसके बावजूद, उन्होंने 7 दिन पहले फिर से फोन टैपिंग के आरोप दोहराए हैं।
क्या राजनीतिक संकेत दे रहे हैं किरोड़ी?
सरकारी सुविधाओं को ठुकराने और अपनी ही सरकार के खिलाफ मुखर रहने की उनकी रणनीति उनकी स्वतंत्र राजनीतिक स्थिति को दर्शाती है। एक ओर वे अपने निर्णयों से खुद को एक सरकारी संसाधनों से दूर रहने वाले ईमानदार नेता के रूप में पेश कर रहे हैं, तो दूसरी ओर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलकर अपनी राजनीतिक ताकत दिखा रहे हैं।

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