CBSE new initiative: स्कूलों में लगेगा “शुगर बोर्ड”, बच्चों के खान-पान पर रहेगी नजर
CBSE new initiative: बढ़ते डायबिटीज और मोटापे के मामलों को देखते हुए केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। अब स्कूलों में छात्रों के चीनी सेवन पर निगरानी रखने और उन्हें स्वस्थ जीवनशैली के प्रति जागरूक करने के लिए “शुगर बोर्ड” लगाए जाएंगे।
क्या है शुगर बोर्ड?
शुगर बोर्ड एक जानकारी देने वाला डिस्प्ले बोर्ड होगा, जिसे स्कूलों में लगाया जाएगा। इसका उद्देश्य बच्चों, अभिभावकों और शिक्षकों को चीनी से संबंधित स्वास्थ्य जोखिमों, दैनिक सेवन की सीमाएं, और स्वस्थ विकल्पों के बारे में जागरूक करना है।
CBSE सर्कुलर: क्या-क्या निर्देश दिए गए हैं?
CBSE के सर्कुलर संख्या अकाद-26/2025 के अनुसार, सभी संबद्ध स्कूलों को निम्नलिखित कदम उठाने के निर्देश दिए गए हैं:
1. शुगर बोर्ड की स्थापना
हर स्कूल को एक शुगर बोर्ड लगाना होगा, जिसमें निम्न जानकारियाँ प्रदर्शित होंगी:
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उम्र के अनुसार अनुशंसित चीनी सेवन
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लोकप्रिय स्नैक्स व पेयों में छिपी हुई चीनी की मात्रा
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स्वस्थ विकल्प और उनके फायदे
2. जागरूकता कार्यक्रम
स्कूलों को नियमित रूप से सेमिनार, वर्कशॉप और अभिभावक मीटिंग्स आयोजित करने को कहा गया है ताकि चीनी सेवन के दुष्प्रभाव और माइंडफुल ईटिंग की आदतों पर जागरूकता बढ़ाई जा सके।
3. खान-पान की निगरानी
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स्कूल कैंटीन और लंचबॉक्स में दिए जाने वाले भोजन में चीनी की मात्रा पर निगरानी
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सोडा, कैंडी, पैकेज्ड स्नैक्स जैसे उच्च चीनी युक्त खाद्य पदार्थों से परहेज
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बच्चों को प्राकृतिक और हेल्दी विकल्प अपनाने के लिए प्रेरित करना
CBSE की चिंता: चीनी का अत्यधिक सेवन
CBSE ने अपने निर्देशों में बताया है कि
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4-10 वर्ष के बच्चे अपनी दैनिक कैलोरी का लगभग 13%
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11-18 वर्ष के बच्चे 15% कैलोरी चीनी से ले रहे हैं
जबकि WHO और CBSE के अनुसार, यह सीमा केवल 5% होनी चाहिए।
अनुशंसित चीनी सेवन (दैनिक):
आयु वर्ग | मात्रा (ग्राम) | चम्मच में अनुमानित |
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4-10 वर्ष | 19-24 ग्राम | 5-6 चम्मच |
11-18 वर्ष | 24-30 ग्राम | 6-7 चम्मच |
🔹 फलों व दूध में पाई जाने वाली प्राकृतिक चीनी को इसमें शामिल नहीं किया जाता।
शुगर बोर्ड से होने वाले प्रमुख फायदे:
1. स्वास्थ्य जागरूकता में वृद्धि
बच्चे और अभिभावक चीनी से जुड़ी बीमारियों (जैसे डायबिटीज, मोटापा, दांतों की समस्या) के बारे में जान पाएंगे।
2. स्वस्थ खान-पान की आदतें
बच्चे फल, नट्स, और बिना चीनी वाले पेय जैसे बेहतर विकल्पों को अपनाना सीखेंगे।
3. टाइप-2 डायबिटीज की रोकथाम
अनुशंसित चीनी सीमा का पालन करने से बच्चों में यह बीमारी रोकी जा सकेगी।
4. दीर्घकालिक स्वास्थ्य लाभ
कम उम्र से हेल्दी आदतें डालने से भविष्य में हृदय रोग, मोटापा और अन्य पुरानी बीमारियों का खतरा कम होगा।
5. सामुदायिक प्रभाव
यह पहल शिक्षकों, अभिभावकों और छात्रों को मिलकर एक स्वस्थ जीवनशैली को अपनाने के लिए प्रेरित करेगी।
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अभिभावकों के लिए सुझाव:
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बच्चों के टिफिन में फल, दही, मूंगफली, या घर के बने हेल्दी स्नैक्स रखें।
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पैकेज्ड ड्रिंक्स या चॉकलेट की जगह नारियल पानी, नींबू पानी या सादा पानी दें।
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स्कूलों द्वारा आयोजित सेमिनार/वर्कशॉप में भाग लें और बच्चों को कम उम्र से ही हेल्दी ईटिंग हैबिट्स सिखाएं।