Etawah Incident : इटावा में दो कथावाचकों का जातिगत अपमान, वीडियो वायरल — देश भर में आक्रोश
"जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिए ज्ञान..." कबीर का ये दोहा आज भी किताबों में जिंदा है, लेकिन समाज के कई हिस्सों में इसकी आत्मा मर चुकी है।
Etawah Incident : जिले के दादरपुर गांव से एक ऐसी घटना सामने आई है, जिसने पूरे देश को झकझोर दिया है। दो कथावाचकों — मुकुट मणि यादव और संत कुमार यादव — को कथावाचन करने के दौरान सिर्फ उनकी जाति के आधार पर भीड़ द्वारा अपमानित और प्रताड़ित किया गया।
पीड़ितों के अनुसार, वे गांव में भागवत कथा करने पहुंचे थे। लेकिन जैसे ही कुछ स्थानीय लोगों को उनकी जाति का पता चला, उन्हें कथावाचक मानने से इनकार कर दिया गया। आरोप है कि भीड़ ने कथित तौर पर कहा –
“तुम यादव हो… कथा सुनाने का हक तुम्हें किसने दिया?”
इसके बाद दोनों कथावाचकों के साथ मारपीट की गई।
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एक की चोटी और बाल जबरन काट दिए गए।
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दूसरे कथावाचक से एक महिला के पैर और नाक रगड़वाई गई।
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उनका हारमोनियम तोड़ दिया गया, साथ ही 25 हज़ार रुपये और सोने की चेन भी लूट ली गई।
कथावाचक जहां गीता के श्लोक सुना रहे थे, वहीं भीड़ ने उन्हें जातिवादी गालियों और धमकियों का सामना करने पर मजबूर कर दिया।
घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसके बाद प्रशासन हरकत में आया।
पुलिस कार्रवाई:
इटावा के एसएसपी बृजेश कुमार श्रीवास्तव ने मामले को गंभीरता से लेते हुए तत्काल चार आरोपियों की गिरफ्तारी करवाई।
उन्होंने स्पष्ट कहा —
“कानून से ऊपर कोई नहीं है। जाति के आधार पर अपमान किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”
राजनीतिक प्रतिक्रिया:
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने घटना की निंदा करते हुए इसे
“संतों और भारतीय संस्कृति का अपमान” करार दिया।
उन्होंने योगी सरकार को तीन दिन का अल्टीमेटम देते हुए चेताया कि
“अगर न्याय नहीं हुआ, तो जनता जवाब देगी।”
सबसे बड़ा सवाल अब यही है:
क्या आज भी धर्म, श्रद्धा और ज्ञान जाति पूछकर स्वीकार किए जाएंगे?
क्या कबीर, रविदास और तुलसी जैसे संतों की परंपरा —
जो समाज के हर वर्ग से निकली — आज भी अपमानित की जाएगी?