Trump is going to impose tariffs: अमेरिका 1 अगस्त से 100 देशों पर लगाएगा नया टैरिफ- भारत भी सूची में संभावित

Trump is going to impose tariffs: अमेरिका 1 अगस्त, 2025 से लगभग 100 देशों से होने वाले आयात पर कम से कम 10 प्रतिशत का रेसिप्रोकल टैरिफ (प्रतिस्पर्धात्मक शुल्क) लगाने जा रहा है। ट्रंप प्रशासन के इस फैसले को वैश्विक व्यापार नीति में बड़े रीसेट के तौर पर देखा जा रहा है। अमेरिकी ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेंट ने इस नीति की पुष्टि करते हुए कहा कि यह टैरिफ नीति व्यापक रूप से लागू होगी, जिसमें वे देश भी शामिल होंगे जो इस समय अमेरिका के साथ टैरिफ को लेकर बातचीत कर रहे हैं।

अमेरिकी ट्रेजरी सचिव का बयान

स्कॉट बेसेंट ने ब्लूमबर्ग टेलीविजन को दिए एक इंटरव्यू में कहा: “हम लगभग 100 देशों पर कम से कम 10 प्रतिशत का रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने जा रहे हैं और भविष्य में यह दर बढ़ाई भी जा सकती है।” उन्होंने संकेत दिए कि राष्ट्रपति ट्रंप का रुख उन देशों के प्रति कैसा रहेगा, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि वे अमेरिका के हितों को लेकर कितने गंभीर हैं।

भारत भी हो सकता है सूची में शामिल

हालांकि ट्रंप ने 100 देशों की सूची सार्वजनिक नहीं की है, लेकिन उन्होंने यह जरूर कहा कि 12 देशों ने ‘Take it or leave it’ फ्रेमवर्क के तहत टैरिफ दस्तावेजों पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। इन दस्तावेजों में नए टैरिफ रेट्स शामिल हैं और इन्हें सोमवार को औपचारिक रूप से प्रस्तावित किया जाएगा।

सूत्रों के अनुसार, भारत, जापान और यूरोपीय यूनियन के सदस्य देश इस लिस्ट में शामिल हो सकते हैं, हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।

भारत पर बढ़ सकता है आर्थिक दबाव

भारत के लिए यह स्थिति विशेष रूप से चिंताजनक हो सकती है क्योंकि अमेरिका द्वारा 26 प्रतिशत टैरिफ की मौजूदा डेडलाइन 9 जुलाई को समाप्त हो रही है। अगर तब तक कोई ट्रेड डील नहीं होती है, तो भारत से अमेरिका को होने वाले निर्यात पर और अधिक टैरिफ लागू हो सकते हैं, जिससे व्यापार महंगा हो जाएगा।

ग्लोबल ट्रेड का पुनर्गठन

ट्रंप प्रशासन का यह कदम पिछले एक दशक का सबसे आक्रामक व्यापारिक पुनर्गठन माना जा रहा है। यह नीति अमेरिकी एक्सपोर्ट को फेवर देने और ट्रेड बैलेंस सुधारने के उद्देश्य से तैयार की गई है। इसका प्रभाव वैश्विक व्यापार संबंधों पर गहरा पड़ सकता है।

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क्या आगे बढ़ेगा टैरिफ विवाद?

अब सवाल यह है कि क्या भारत और अन्य प्रभावित देश अमेरिका के इस फैसले का जवाब देंगे या फिर किसी ट्रेड डील के माध्यम से तनाव को टालने की कोशिश करेंगे। आने वाले हफ्तों में इस मुद्दे पर वैश्विक स्तर पर तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिल सकती हैं।

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