Amethi News: शिक्षा के मंदिर में भय का साया: महिला शिक्षिका को धमकी, चार्ज ट्रांसफर अटका

Amethi News: सिंहपुर विकासखण्ड स्थित प्राथमिक विद्यालय जलाल दुबे में शनिवार को घटित घटनाक्रम ने जिले की शिक्षा-व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए। चार्ज ट्रांसफर के लिए पहुँची शिक्षिका श्रीमती प्रीति त्रिपाठी को सहकर्मी सहायक अध्यापक सुमन यादव ने न केवल विद्यालय का प्रभार सौंपने से इनकार किया, बल्कि अभद्र भाषा और धमकियों के सहारे उन्हें बदनाम करने की खुली चेतावनी भी दे डाली l खण्ड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) के ताज़ा आदेश के तहत श्रीमती त्रिपाठी का स्थानांतरण प्राथमिक विद्यालय चिलौली प्रथम से यहाँ किया गया था। शिक्षिका के अनुसार, जैसे ही वह विद्यालय पहुँचीं, सुमन यादव ने गाली-गलौज करते हुए कहा, “यदि तुमने प्रधानाध्यापक सिद्धार्थ द्विवेदी या किसी और को बुलाया, तो मैं यह कह दूँगी कि तुमने मेरा हाथ पकड़ा।” भयाक्रांत शिक्षिका ने तत्काल प्रधानाध्यापक को सूचना दी।स्थिति की गंभीरता देखते हुए प्रधानाध्यापक श्री द्विवेदी अकेले विद्यालय न जाकर ग्राम प्रधान और दो जिम्मेदार ग्रामीणों को साथ लाए, ताकि किसी भी झूठे आरोप से खुद को बचाया जा सके और पारदर्शिता बनी रहे। किंतु सुमन यादव का आक्रामक रवैया बरकरार रहा; उन्होंने दोबारा चार्ज लेने से मना कर दिया और शिक्षिका पर व्यक्तिगत टिप्पणियाँ कीं। इसी बीच, यादव के भाई राहुल यादव ने प्रधानाध्यापक को फोन कर दबाव के शब्दों का प्रयोग किया गया है।

”घटना की सूचना मिलते ही विद्यालय परिसर में भय और असुरक्षा का माहौल बन गया। विद्यार्थी भी शिक्षकों के तनाव से व्याकुल दिखे। ग्रामीण अभिभावक रामचरन तिवारी ने कहा, “यदि शिक्षक ही बच्चों के सामने ऐसा व्यवहार करेंगे, तो शिक्षा पर विश्वास कैसे टिकेगा?”इस बीच बीईओ सिंहपुर ने स्पष्टीकरण दिया, “वरिष्ठ अधिकारी अवकाश पर हैं। उनके लौटते ही चार्ज ट्रांसफर की प्रक्रिया दुबारा कराई जाएगी; महिला शिक्षक पर अतिरिक्त दबाव नहीं डाल सकते।” शिक्षकों ने इस तर्क को न्याय की भावना के विपरीत बताया। उनका कहना है कि आदेश की अवहेलना और धमकी, चाहे किसी से भी हो,अनुशासनहीनता के दायरे में आती है।स्कूल प्रबंधन समिति ने चेतावनी दी है कि यदि एक सप्ताह में समाधान नहीं हुआ, तो जिला मुख्यालय पर धरना दिया जाएगा। अभिभावक संघ ने शिक्षा विभाग से दोषियों पर तत्काल अनुशासनात्मक कार्रवाई की माँग की है। फिलहाल निगाहें वरिष्ठ अधिकारियों की वापसी और संभावित कार्रवाई पर टिकी हैं। यह घटना दर्शाती है कि सुरक्षित व सम्मानजनक कार्य वातावरण के अभाव में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की कल्पना भी अधूरी रह जाती है।

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