H-1B Visa decision: भारतीयों को झटका, अमेरिका में काम करना हुआ महंगा
भारत-अमेरिका संबंधों में गर्मजोशी के बीच वीजा बम
H-1B Visa decision: 18 सितंबर को लंदन में ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीअर स्टॉर्मर के साथ संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को “महान नेता” बताया और दोस्ती की बात दोहराई। इससे पहले उन्होंने मोदी को जन्मदिन की शुभकामनाएं भी दी थीं। इन बयानों से लगा कि भारत-अमेरिका संबंधों में सुधार हो रहा है, लेकिन इसके तुरंत बाद ट्रंप ने H-1B वीजा पर बड़ा झटका दे दिया।
H-1B वीजा में बदलाव: अब देना होगा $1,00,000 शुल्क
राष्ट्रपति ट्रंप ने H-1B वीजा प्रोग्राम में बदलाव करते हुए एक घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं। नए नियमों के अनुसार:
- प्रत्येक H-1B आवेदन पर प्रति वर्ष $1,00,000 का शुल्क लगेगा
- वीजा अधिकतम छह वर्षों के लिए ही मान्य रहेगा, चाहे नया आवेदन हो या नवीनीकरण
- ट्रंप का उद्देश्य अमेरिकी नागरिकों को प्राथमिकता देना है
- आदेश में कहा गया है कि वीजा का गलत इस्तेमाल हो रहा था, जिससे अमेरिकी कामगारों को नुकसान हो रहा था
भारतीय टेक पेशेवरों और कंपनियों पर असर
इस फैसले से अमेरिका में काम कर रहे भारतीय टेक्नोलॉजी पेशेवरों और आईटी कंपनियों को बड़ा झटका लगा है। अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लूटनिक ने कहा कि कंपनियां अब विदेशी कामगारों को सस्ते में नहीं रख पाएंगी। इससे भारतीय कामगारों की मांग में गिरावट आ सकती है।
चाबहार बंदरगाह पर अमेरिकी प्रतिबंध: भारत की रणनीति पर असर
ट्रंप प्रशासन ने ईरान के चाबहार बंदरगाह के संचालन से जुड़े व्यक्तियों पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है। भारत ने मई 2024 में ईरान के साथ 10 साल का करार किया था, जिससे भारत को अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक पहुंच मिलती। अब इस बंदरगाह पर अमेरिकी प्रतिबंधों का असर भारत की व्यापारिक और रणनीतिक योजनाओं पर पड़ेगा।
H-1B Visa decision: also read- Sonbhadra news: खुले स्थानों पर खड़े वाहनों के कारण सफाई कार्य बाधित ईओ ने दिये कड़े निर्देश
ट्रंप की रणनीति: दोस्ती की बात, फैसलों में सख्ती
विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप की रणनीति अप्रत्याशित है—बातों में गर्मजोशी, लेकिन नीतियों में सख्ती। भारत को अब यह तय करना होगा कि अमेरिकी दबावों और प्रतिबंधों से कैसे निपटा जाए और अपने हितों की रक्षा कैसे की जाए।