Donald Trump’s big claim: भारत ने बंद की रूसी तेल की खरीद, चीन से व्यापार वार्ता से पहले उठाया मुद्दा
Donald Trump’s big claim: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर भारत की रूसी तेल खरीद को लेकर बड़ा दावा किया है। शनिवार को पत्रकारों से बातचीत में ट्रंप ने कहा कि भारत ने रूस के ऊर्जा क्षेत्र पर लगे नए अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद रूसी तेल की खरीद “पूरी तरह बंद” कर दी है। उन्होंने यह भी बताया कि वह आगामी सप्ताह में दक्षिण कोरिया में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ इस मुद्दे पर चर्चा करेंगे।
ट्रंप ने कहा, “हमने रूस पर प्रतिबंध लगाए हैं। चीन रूसी तेल की खरीद में काफी कमी कर रहा है और भारत पूरी तरह से कट बैक कर रहा है।” यह बयान ऐसे समय आया है जब अमेरिका रूस के ऊर्जा निर्यात को सीमित करने की रणनीति पर काम कर रहा है।
भारत ने खारिज किया ट्रंप का दावा
भारत ने ट्रंप के इस दावे को खारिज करते हुए स्पष्ट किया है कि उसकी ऊर्जा नीति राष्ट्रीय हितों और किफायती आपूर्ति की जरूरतों पर आधारित है। नई दिल्ली ने रूसी तेल आयात में किसी भी कटौती को लेकर अमेरिकी नेतृत्व के बयानों से असहमति जताई है। भारत का रुख रहा है कि वह वैश्विक दबाव के बजाय घरेलू जरूरतों को प्राथमिकता देता है।
रूसी तेल कंपनियों पर नए प्रतिबंध
ट्रंप ने हाल ही में रूस की प्रमुख तेल कंपनियों रोसनेफ्ट और लुकऑयल पर नए प्रतिबंध लगाए हैं। इन प्रतिबंधों का उद्देश्य मॉस्को पर वित्तीय दबाव बढ़ाना और उसके सैन्य अभियानों के लिए ऊर्जा निर्यात से मिलने वाले राजस्व को सीमित करना है। इससे पहले भी ट्रंप ने कहा था कि भारत धीरे-धीरे रूसी तेल की खरीद कम करेगा और साल के अंत तक यह “लगभग शून्य” हो जाएगी।
चीन के साथ व्यापार वार्ता की तैयारी
राष्ट्रपति ट्रंप की आगामी चीन यात्रा वॉशिंगटन और बीजिंग के बीच व्यापार, तकनीकी प्रतिबंधों और कच्चे माल की आपूर्ति को लेकर बढ़ते तनाव के बीच हो रही है। ट्रंप ने संकेत दिया है कि वार्ता में कृषि व्यापार और फेंटेनाइल के उत्पादन व निर्यात जैसे मुद्दे शामिल होंगे। उन्होंने कहा, “मैं चाहता हूं कि हमारे किसानों का ध्यान रखा जाए… हम फेंटेनाइल पर भी बात करने जा रहे हैं। इससे बहुत से लोग मर रहे हैं, यह चीन से आता है।”
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रणनीति पर कायम ट्रंप, भारत अडिग
ट्रंप ने स्पष्ट किया है कि वह चीन और भारत दोनों पर दबाव डालकर रूस के राजस्व स्रोतों को सीमित करने की अपनी रणनीति पर कायम हैं। वहीं भारत ने बार-बार दोहराया है कि वह राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखता है और ऊर्जा आपूर्ति को लेकर स्वतंत्र निर्णय लेता है।



