Record Voter Turnout Bihar : बदलाव की दस्तक? बिहार के पहले चरण में रिकॉर्ड वोटिंग ने बढ़ाई सियासी गर्मी

चुनावी धक्का: बिहार के पहले चरण में वोटिंग इतनी बढ़ी कि हवा बदलने के संकेत मिले, पहला चरण — 121 सीटें; मतदान 64.66% — 2020 से लगभग 8.98 प्रतिशत अंक अधिक

Record Voter Turnout Bihar : बिहार के विधानसभा चुनावों के पहले चरण (121 सीटों) में गुरुवार को जो मतदान हुआ, उसने सिर्फ़ रिकॉर्ड तोड़े नहीं — उसकी दिशा-रेखा ने राजनीतिक हवा ही पलट दी। चुनाव आयोग और सरकारी संख्याओं के मुताबिक़ इस बार प्राविजनल मतदान 64.66 फ़ीसदी दर्ज हुआ, जो राज्य के इतिहास में अब तक का उच्चतम है।

यह बढ़ोतरी पिछले विधानसभा चुनाव (2020) के समान चरण के औसत से क़रीब 8.98 प्रतिशत अंक अधिक है — 2020 में पहले चरण की मतदान दर करीब 55.68% रिकॉर्ड की गई थी — यानी मतदान में लगभग नौ-प्रतिशत का उछाल आया है, जो किसी भी राजनीतिक दल के लिए अनदेखी करने वाली बात नहीं है।

राजनीतिक तौर पर अक्सर कहा जाता रहा है — और कुछ चुनावी अध्ययनों में भी इस ओर इशारा मिलता है — कि अचानक बढ़ा हुआ वोटिंग रुझान जन-आक्रोश या बदलाव की चाहत का संकेत दे सकता है; बड़े पैमाने पर बाहर निकलकर मतदान करने वाले मतदाता पारंपरिक धाराओं को हिला सकते हैं। इस तर्क का समर्थन करने वाले राजनीतिक विश्लेषण और शैक्षणिक अध्ययन मौजूद हैं, जो बताते हैं कि ऊँची भागीदारी का मतलब जरूरी नहीं कि वही सरकार बच जाएगी। पर हर बार यह पैटर्न एक जैसा नहीं होता; स्थानीय मुद्दे, उम्मीदवार और गठबंधन की ताकतें भी निर्णायक रहती हैं।

पहले चरण में 3.75 करोड़ से ज़्यादा निर्वाचित मतदाताओं के बीच यह बढ़ी हुई भागीदारी, महिला एवं युवा मतदाताओं की सक्रियता और ग्रामीण-शहरी दोनों जगह मतदान का फैलाव, अगले चरणों के लिए राजनीतिक दलों की रणनीतियों पर असर डालेगा। उम्मीदवारों और पार्टियों के लिए यह संकेत है कि ‘स्थिर वोट बैंक’ अब उतना भरोसेमंद नहीं रहा और भूगोल के साथ-साथ मतदान की परतें बदल रही हैं।

नज़दीकी इलाकों की रिपोर्टों में कुछ जिलों ने रिकॉर्ड-टर्नआउट दिया तो कुछ में औसत रहा; कुल मिलाकर यह उत्सव और जोश भरे मतदान का दिन रहा — वही परिस्थिति अब नतीजों तक पहुँचने तक राजनीति को उथल-पुथल में रख सकती है। चुनाव प्रबंधन, सर्वे और पार्टियों के लोक-सम्पर्क अभियान अब इस बड़े वोटिंग-सूचकांक को ध्यान में रखकर अगले चरणों की रणनीति बदलने पर मजबूर होंगे।

एक लाइन का निचोड़: पहले चरण की 64.66% भागीदारी और 2020 के मुकाबले करीब 9 प्रतिशत अंक की छलांग ने बिहार की राजनीति में ‘बदलाव की सम्भावना’ की बात फिर मुखर कर दी है — पर असली तस्वीर तब साफ़ होगी जब मतगणना के बाद समीकरण सामने आएंगे।

 

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