Delhi News-दिल्ली में भगवद्गीता राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन

Delhi News- दिल्ली में रविवार को प्रथम “भगवद्गीता राष्ट्रीय सम्मेलन” आयोजित किया गया। यह भगवद्गीता के शाश्वत ज्ञान को आधुनिक और व्यावहारिक दृष्टिकोण से समाज तक पहुँचाने की दिशा में एक कदम है।

इस सम्मेलन का आयोजन गीता परिचय अभियान द्वारा किया गया, जिसका उद्देश्य भगवद्गीता के शाश्वत ज्ञान को सरल, व्यावहारिक और आधुनिक दृष्टिकोण के साथ समाज तक पहुँचाना है।

​इस राष्ट्रीय स्तर के सम्मेलन में देशभर से 1,700 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। इसमें युवा, वरिष्ठ नागरिक, शिक्षाविद्, आईटी प्रोफेशनल्स और जीवन के विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े लोग मौजूद थे।

​सम्मेलन के दौरान प्रमुख वक्ताओं ने स्पष्ट किया कि भगवद्गीता को केवल एक धार्मिक ग्रंथ तक सीमित नहीं समझा जाना चाहिए। यह वास्तव में जीवन प्रबंधन की एक संपूर्ण मार्गदर्शिका है। उन्होंने बताया कि आज के दौर की मुख्य चुनौतियों जैसे मानसिक तनाव, करियर का दबाव, रिश्तों की जटिलता और आत्मिक असंतुलन का प्रभावी समाधान गीता के उपदेशों में निहित है।

​कार्यक्रम में कर्म योग, ज्ञान योग और भक्ति योग जैसे केंद्रीय विषयों पर विस्तृत और व्यावहारिक विचार प्रस्तुत किए गए। इन गहन सत्रों ने उपस्थित प्रतिभागियों को जीवन के उद्देश्य को समझने और आत्मिक शांति प्राप्त करने की दिशा में बहुमूल्य मार्गदर्शन प्रदान किया।

वर्तमान में 100 से अधिक ऑनलाइन व ऑफलाइन गीता कक्षाएं नियमित रूप से संचालित हो रही हैं। हजारों युवा नियमित रूप से इस अभियान से जुड़कर लाभान्वित हो रहे हैं। इसके अलावा, देश के विभिन्न शहरों में सेमिनार, अध्याय-वार विवेचन सत्र और कार्यशालाएं आयोजित की जा रही हैं।

​गीता परिचय अभियान के संस्थापक एवं संरक्षक संतोष कुमार गुप्ता ने कहा कि वर्ष 2011 से भगवद्गीता से उनका जुड़ाव रहा है। उनका निरंतर प्रयास है कि गीता का संदेश हर आयु वर्ग तक सरल भाषा में पहुँचे। उन्होंने बताया कि उनके लोकप्रिय यूट्यूब चैनल “गीता जीवन संगीत” के माध्यम से लाखों लोग गीता के व्यावहारिक अर्थों से लाभान्वित हो रहे हैं।

​दिल्ली के अभियान से जुड़े वरिष्ठ गीता आचार्य ओपी शर्मा ने विशेष रूप से शिक्षित युवाओं और आईटी प्रोफेशनल्स के जीवन में आ रहे सकारात्मक परिवर्तन का उल्लेख किया।इनमें आंतरिक शांति तथा स्पष्ट सोच का विकास शामिल है।

हाल ही में जयपुर के विद्यालयों में बच्चों को गीता के मूल सिद्धांतों से परिचित कराया गया, जिसका उद्देश्य उनमें संस्कार, अनुशासन और सकारात्मक सोच का विकास करना है।

अनेक युवाओं ने यह साझा किया कि गीता कक्षाओं से जुड़ने के बाद उनके जीवन में मानसिक शांति, आत्मविश्वास और निर्णय क्षमता में उल्लेखनीय सुधार आया है।

​इस सफल राष्ट्रीय सम्मेलन ने यह स्पष्ट संदेश दिया है कि आधुनिक भारत में लोग भौतिक प्रगति के साथ-साथ आत्मिक संतुलन और जीवन के गहरे अर्थ की तलाश में हैं। भगवद्गीता इस खोज में एक विश्वसनीय मार्गदर्शक बनकर उभर रही है, जिसका ज्ञान आज भी उतना ही प्रासंगिक और जीवन-परिवर्तनकारी है।

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