Arawali News:अरावली रेंज की सुरक्षा में कोई ढील नहीं : भूपेंद्र यादव

Arawali News:केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने रविवार को अरावली रेंज को लेकर सुरक्षा मानकों में ढील दिए जाने के दावों को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने साफ कहा कि अरावली के संरक्षण नियमों में किसी भी स्तर पर कोई नरमी नहीं की गई है और इस मुद्दे पर भ्रम फैलाने की जानबूझकर कोशिश की जा रही है।

पश्चिम बंगाल के सुंदरवन में आयोजित प्रेस वार्ता में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अरावली रेंज दुनिया की सबसे प्राचीन पर्वत श्रृंखलाओं में से एक है और इसका मामला पिछले कई दशकों से सर्वोच्च न्यायालय की निगरानी में है। उन्होंने कहा कि इस विषय पर फैलाए जा रहे दावे पूरी तरह भ्रामक हैं और उनका वास्तविकता से कोई संबंध नहीं है।

भूपेंद्र यादव ने बताया कि अरावली रेंज का मामला वर्ष 1985 से न्यायिक जांच और निगरानी के दायरे में है। शुरुआत से ही इस क्षेत्र में सख्त नियंत्रण पर जोर दिया गया है, खासकर खनन गतिविधियों को लेकर। उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा और गुजरात इन चार राज्यों में अरावली की एक समान परिभाषा लागू की गई है, ताकि किसी भी तरह की कानूनी खामियों का दुरुपयोग न हो सके।

केंद्रीय मंत्री ने स्पष्ट किया कि अरावली की परिभाषा वर्ष 1968 में किए गए एक भूवैज्ञानिक अध्ययन पर आधारित है, जिसमें पर्वत संरचना के आधार से 100 मीटर तक के क्षेत्र को संरक्षित क्षेत्र माना गया है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग यह गलत प्रचार कर रहे हैं कि 100 मीटर का नियम केवल पहाड़ की ऊपरी सतह पर लागू होता है, जबकि सच्चाई यह है कि यह सुरक्षा आधार संरचना से लागू होती है, चाहे वह जमीन के भीतर ही क्यों न हो।

भूपेंद्र यादव ने दो टूक कहा कि दिल्ली की अरावली पहाड़ियों में खनन पर पूरी तरह प्रतिबंध है और यह विषय आज भी सर्वोच्च न्यायालय के विचाराधीन है। केंद्र सरकार अदालत के निर्देशों के अनुरूप पूरी जिम्मेदारी के साथ काम कर रही है।

उन्होंने यह भी बताया कि कुल लगभग 1.44 लाख वर्ग किलोमीटर में फैली अरावली रेंज में से केवल करीब 0.19 प्रतिशत क्षेत्र ही मौजूदा कानूनी ढांचे के तहत खनन के योग्य हो सकता है, जबकि शेष पूरा क्षेत्र पूरी तरह संरक्षित है।

केंद्रीय मंत्री ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि अरावली पूरी तरह सुरक्षित है और इस मुद्दे पर अफवाहें फैलाना बंद किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण जैसे गंभीर विषय पर भ्रम फैलाना न केवल गैर जिम्मेदाराना है, बल्कि देशहित के भी खिलाफ है। मंत्री ने आश्वस्त किया कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार इसे लेकर पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।

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