RBI Repo Rate: रेपो रेट में 25 bps कटौती की उम्मीद, जानिए आम लोगों को क्या होगा फायदा
RBI Repo Rate: फरवरी 2026 में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) आम लोगों को बड़ी राहत दे सकता है। यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, RBI फरवरी में होने वाली मौद्रिक नीति बैठक में रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट्स (bps) की कटौती कर सकता है। अगर ऐसा होता है तो रेपो रेट घटकर 5 प्रतिशत पर आ जाएगा।
RBI की अगली मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक 4, 5 और 6 फरवरी 2026 को प्रस्तावित है। इस बैठक में ब्याज दरों को लेकर बड़ा फैसला लिया जा सकता है।
आगे भी कटौती की गुंजाइश
रिपोर्ट के अनुसार, केंद्रीय बैंक के नरम रुख को देखते हुए फरवरी या अप्रैल 2026 में एक और 25 bps की दर कटौती की संभावना बनी हुई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि RBI लगातार इस बात पर जोर देता रहा है कि महंगाई स्थिर है और कीमतों पर दबाव कम हो रहा है। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि अगर सोने की कीमतों के कारण करीब 50 bps के महंगाई प्रभाव को अलग कर दिया जाए, तो वास्तविक महंगाई दबाव और भी कम दिखाई देता है।
रिपोर्ट में क्या कहा गया?
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में कहा गया है, “हमें फरवरी या अप्रैल 2026 में 25 bps की अंतिम दर कटौती की गुंजाइश नजर आती है। RBI के नरम नीतिगत रुख को देखते हुए फरवरी 2026 की बैठक में रेपो रेट को 5% तक लाए जाने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता, हालांकि अंतिम कटौती का समय तय करना मुश्किल है।”
क्यों बना हुआ है संशय?
रिपोर्ट में यह भी साफ किया गया है कि अंतिम दर कटौती का समय अभी अनिश्चित है। इसकी एक बड़ी वजह फरवरी 2026 में CPI (उपभोक्ता मूल्य सूचकांक) और GDP (सकल घरेलू उत्पाद) के आधार वर्ष में होने वाला संशोधन है। संभावना है कि संशोधित आंकड़े आने के बाद MPC ‘प्रतीक्षा करो और देखो’ (Wait and Watch) की नीति अपनाते हुए महंगाई और आर्थिक विकास के रुझानों का दोबारा आकलन करेगी।
इसी महीने RBI ने घटाई थी दर
गौरतलब है कि रिजर्व बैंक ने दिसंबर 2025 में ही रेपो रेट में 25 bps की कटौती की थी। दिसंबर की मौद्रिक नीति बैठक के बाद RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बताया था कि रेपो रेट घटाकर 5.25% कर दिया गया है। यह बैठक 3 से 5 दिसंबर के बीच हुई थी।
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आम लोगों को क्या होगा फायदा?
रेपो रेट में कटौती का सीधा फायदा आम लोगों को मिलता है—
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होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन सस्ते हो जाते हैं
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जिनका लोन पहले से चल रहा है, उनकी EMI कम हो सकती है
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कम EMI से लोगों को अतिरिक्त बचत का मौका मिलता है
हालांकि, इसका दूसरा पहलू भी है—
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FD की ब्याज दरों में गिरावट आ सकती है
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FD में निवेश करने वालों को कम रिटर्न मिल सकता है
ध्यान देने वाली बात यह है कि लोन और FD की ब्याज दरों में बदलाव करना पूरी तरह से बैंकों के विवेक पर निर्भर करता है।



