Burqa Controversy : ‘नकाब पहनना है तो घर में रहें, महिलाएं वहीं ज्यादा अनसेफ’—बुर्के पर यूपी महिला आयोग अध्यक्ष बबीता चौहान का बयान, बढ़ा विवाद
Burqa Controversy : उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष बबीता चौहान के एक बयान ने सियासी और सामाजिक हलकों में नई बहस छेड़ दी है. मुस्लिम महिलाओं के बुर्का और नकाब पहनने को लेकर उन्होंने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर किसी को चेहरा ढककर बाहर निकलना है, तो उन्हें घर में ही रहना चाहिए, क्योंकि “महिलाएं घर में ज्यादा अनसेफ रहती हैं.”
क्या कहा बबीता चौहान ने?
बबीता चौहान ने सवाल उठाया कि जब आधार कार्ड, पैन कार्ड, पासपोर्ट और अन्य सरकारी पहचान पत्र बनवाते समय महिलाएं अपना चेहरा दिखाती हैं, तो फिर आम जनता के सामने चेहरा ढकने की जरूरत क्यों पड़ती है?
उन्होंने कहा कि पहचान छिपाने की मंशा पर सवाल उठना स्वाभाविक है और सुरक्षा के लिहाज से भी यह सही नहीं है.
सुरक्षा बनाम परंपरा की बहस
महिला आयोग अध्यक्ष का कहना है कि सार्वजनिक स्थानों पर चेहरा ढकने से सुरक्षा एजेंसियों को दिक्कत होती है और इससे अपराध की आशंका भी बढ़ सकती है. उन्होंने इसे महिला सुरक्षा से जोड़ते हुए देखा, न कि धार्मिक स्वतंत्रता के मुद्दे के तौर पर.
बयान के बाद सियासी प्रतिक्रिया
बबीता चौहान के इस बयान के बाद विपक्षी दलों और सामाजिक संगठनों ने इसे
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धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला,
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महिलाओं की व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर टिप्पणी
बताते हुए कड़ा विरोध जताया है.
वहीं, कुछ लोगों ने उनके बयान का समर्थन करते हुए कहा कि सार्वजनिक सुरक्षा और पहचान के मुद्दे पर खुली चर्चा जरूरी है.
महिला आयोग की भूमिका पर सवाल
इस बयान के बाद यह सवाल भी उठने लगे हैं कि क्या महिला आयोग को
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महिलाओं के अधिकार और सुरक्षा तक सीमित रहना चाहिए
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धार्मिक और सांस्कृतिक पहनावे पर भी टिप्पणी करनी चाहिए?
बुर्का और नकाब को लेकर दिया गया यह बयान सिर्फ एक टिप्पणी नहीं, बल्कि धार्मिक स्वतंत्रता, महिला सुरक्षा और व्यक्तिगत अधिकारों के बीच टकराव को फिर से सामने ले आया है. आने वाले दिनों में यह मुद्दा सियासी बयानबाज़ी और सामाजिक बहस का बड़ा कारण बन सकता है.



