शामली: इस गांव के हर घर में पसरा है मातम, ग्रामीणों का दावा, दो माह में 60 मौतें
शामली। उत्तर प्रदेश के शहरों में कहर मचाने के बाद अब कोरोना महामारी गांवों में कहर बनकर टूटा है, परिवार के परिवार इस महामारी में खत्म हो जा रहे है, शामली जिला मुख्यालय से 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित करीब 8 हजार की आबादी वाला गांव सिलावर बेहाल है। यह गांव भी कोरोना त्रासदी में मौतों के तांडव से अछूता नहीं है। यहां दो महीने में 60 मौत होने का ग्रामीण दावा कर रहे है। गांव में 60 मौत होने से दहशत है। गांव में सरकार की ओर से अस्पताल तो बनाया गया है, लेकिन मूलभूत सुविधाओं से अछूता है। गांव का हर व्यक्ति एक-दूसरे से जुड़ा है। ऐसे में हर घर में मातम पसरा है। कई घरों में तो कई दिनों से चूल्हे तक नहीं जल रहें। यहा मौत युवाओं से लेकर बुज़र्ग तक को अपने आगोश में ले रही है।
शामली की स्वास्थ सेवाएं बदहाल :
उत्तर प्रदेश की सरकार कोरोना काल में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर होने के लाख दावे कर रही हो, लेकिन पश्चिम उत्तर प्रदेश के शामली के गांव सिलावर की हालत स्वास्थ्य सेवाओं के दावों की पोल खोलती नजर आ रही है। इस गांव के लोगों का दावा है कि गांव में कोई दिन ऐसा नहीं है कि जिसदिन किसी की अर्थी ना उठती हो। गांव के चारों और घरों में मातम पसरा है। गांव की सुनसान गलियां मौत के मातम की गवाही दे रही है।
ग्रामीणों ने खोली स्वास्थ व्यवस्था की पोल :
इस गांव में पिछले 2 महीने से लगातार मौत का तांडव मचा है। ग्रामीणों का दावा है कि गांव में 60 के करीब ग्रामीणों की मौत हो चुकी है। ग्रामीणों का कहना है कि मरने वालों में 20 साल की उम्र के युवाओं से लेकर 70 साल तक के बुजुर्ग शामिल है। गांव के लोगों का कहना है कि अधिकतर मौतें कोरोना महामारी के चलते हो रही है, ग्रामीणों ने बताया की गांव में सरकार की ओर से अस्पताल तो बनाया गया है, लेकिन अस्पताल केवल शोपीस बनकर रह गया है, ग्रामीणों ने बताया की अस्पताल में मूलभूत स्वास्थ सेवाएं तक उपलब्ध नहीं है
भारत समाचार ग्रामीणों की 60 से अधिक कोरोना से मौतों की पुष्टि नहीं करता है, लेकिन इतना जरूर है कि गांव में 50 से ज्यादा मौते किसी गंभीर बीमारी से जरूर हो रही है। मौत के तांडव को देख कर के ग्रामीण दहशत में आ गए हैं और वह दहशत के बीच अपनी जिंदगी गुजर बसर करने को मजबूर है। गांव में मौत के बाद जिन परिवारों के सर से घर के मुखिया का साया उठ गया है, उनके सामने आर्थिक संकट भी मंडरा रहा है। गांव में कुछ ऐसे परिवार भी है जिनमें दो-दो मौतें हो चुकी हैं। ग्रामीणों का कहना है कि मौत का ऐसा मंजर हमने पहले कभी नहीं देखा।हालांकि गांव में ग्राम प्रधान के सहयोग से सैनिटाइजेशन तो पढ़ा गया लेकिन मौतों का टांडा थमने का नाम नहीं ले रहा है और स्वास्थ्य विभाग इस ओर से आंखें मूंदे बैठा है।