Caste census will be conducted: मुस्लिम समुदाय की जातियां भी होंगी शामिल, डिजिटल तरीके से होगा सर्वेक्षण

Caste census will be conducted: केंद्र सरकार ने जातिगत जनगणना कराने का बड़ा फैसला लिया है, जिसकी प्रक्रिया अगले दो से तीन महीनों में शुरू की जाएगी। इस जनगणना में हर धर्म के नागरिकों की जाति से संबंधित जानकारी एकत्र की जाएगी, जिसमें मुस्लिम समुदाय की जातियां भी शामिल होंगी। यह जनगणना डिजिटल माध्यमों, जैसे आधार, बायोमेट्रिक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की सहायता से की जाएगी।

मुस्लिम जातियां भी गिनी जाएंगी, पर धर्म आधारित आरक्षण से इनकार

सूत्रों के मुताबिक, मुस्लिम समुदाय में मौजूद जातियों की गिनती इस जनगणना में स्पष्ट रूप से की जाएगी। हालांकि, सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि धर्म के आधार पर आरक्षण की कोई व्यवस्था नहीं की जाएगी। गृह मंत्री अमित शाह पहले भी कह चुके हैं कि संविधान में धर्म आधारित आरक्षण का प्रावधान नहीं है और जब तक संसद में भाजपा का कोई भी सांसद है, धर्म के आधार पर आरक्षण को मंजूरी नहीं मिलेगी।

तीन महीने में शुरुआत, पंद्रह दिन में पूरा होगा सर्वेक्षण

जनगणना की तैयारी जोरों पर है और अधिकारियों की नियुक्ति जल्द की जाएगी। एक बार प्रक्रिया शुरू हो जाने के बाद, महज 15 दिनों में सर्वेक्षण का कार्य पूरा कर लिया जाएगा। इसके बाद आंकड़ों का विश्लेषण होगा, जिसमें एक से दो साल का समय लग सकता है। अंतिम रिपोर्ट विस्तृत आंकड़ों के साथ सार्वजनिक की जाएगी।

2029 में महिला आरक्षण लागू करने का लक्ष्य

सूत्रों के अनुसार, सरकार की योजना है कि 2029 के लोकसभा चुनाव में महिला आरक्षण लागू किया जाए। इसके लिए जनगणना और परिसीमन की प्रक्रिया अनिवार्य है। जनगणना के पूरा होते ही परिसीमन आयोग का गठन किया जाएगा, जो राज्यों का दौरा कर रिपोर्ट तैयार करेगा।

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ओबीसी आरक्षण सीमा बढ़ाने पर भी विचार

जातिगत आंकड़ों के आधार पर सरकार ओबीसी आरक्षण की सीमा पर भी पुनर्विचार कर सकती है। वर्तमान में यह सीमा 27% है, लेकिन अगर आंकड़ों से यह स्पष्ट होता है कि ओबीसी की आबादी अधिक है, तो आरक्षण बढ़ाने की संभावना से इनकार नहीं किया गया है। जस्टिस रोहिणी आयोग की रिपोर्ट, जिसमें “कोटा के भीतर कोटा” की बात की गई थी, उस पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है, लेकिन भविष्य में इस पर भी विचार हो सकता है।

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