Devbhoomi Uttarakhand became Yogmay: राष्ट्रपति मुर्मु ने देहरादून में किया योग, कहा – “उत्तराखंड देश के योग, चेतना और विरासत का केंद्र”

Devbhoomi Uttarakhand became Yogmay: 11वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर उत्तराखंड की पावन भूमि योगमय हो उठी। राजधानी देहरादून से लेकर चारधाम और नैनीताल तक योग की ऊर्जा स्पष्ट रूप से महसूस की गई। इस अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने देहरादून पुलिस लाइन में योग कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। उनके साथ राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (से.नि.) गुरमीत सिंह, मंत्री सुबोध उनियाल और बड़ी संख्या में स्थानीय नागरिकों ने योग किया।

राष्ट्रपति मुर्मु ने योग दिवस को संबोधित करते हुए कहा कि उत्तराखंड देश के योग, चेतना और विरासत का केंद्र है। उन्होंने योग को भारत की ‘सॉफ्ट पावर’ का सशक्त उदाहरण बताते हुए कहा कि यह साधना न केवल व्यक्ति को व्यक्ति से, बल्कि समाजों और देशों को भी जोड़ती है। उन्होंने सभी को योग को जीवन शैली बनाने की प्रेरणा दी और आग्रह किया कि इसे जनसुलभ बनाया जाए।

राज्यपाल गुरमीत सिंह ने योग को भारत की प्राचीन सांस्कृतिक और आध्यात्मिक परंपरा का हिस्सा बताते हुए युवाओं से आह्वान किया कि वे योग को अपनी दिनचर्या में शामिल करें। उन्होंने कहा कि आज यह दिवस केवल भारत नहीं, बल्कि समूचे विश्व में स्वास्थ्य, शांति और समरसता का प्रतीक बन चुका है।

इस मौके पर कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने ‘योग नीति 2025’ की जानकारी दी, जो भारत की पहली योग नीति है। उन्होंने बताया कि यह नीति उत्तराखंड को योग उद्यमिता और अनुसंधान का केंद्र बनाएगी।

राज्य स्तरीय मुख्य आयोजन भराड़ीसैंण (गैरसैंण) में हुआ, जिसमें कई देशों के राजदूत, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और अन्य गणमान्य अतिथियों ने भाग लिया। मुख्यमंत्री धामी ने ‘हर घर योग, हर जन निरोग’ अभियान का शुभारंभ किया और योग को भारत की गौरवशाली परंपरा का अमूल्य उपहार बताया।

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मुख्यमंत्री ने इससे पूर्व प्रातः भ्रमण के दौरान भराड़ीसैंण परिसर में लगे सेब के पौधों का निरीक्षण भी किया और एप्पल मिशन की प्रगति पर संतोष जताया। उन्होंने स्थानीय लोगों से संवाद कर सरकार की योजनाओं पर फीडबैक भी प्राप्त किया। इस तरह अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर उत्तराखंड की धरती एक बार फिर योग, स्वास्थ्य और समरसता की मिसाल बनकर सामने आई।

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