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DigitalIndia : अब फाइल नहीं, फिंगरप्रिंट से चलता है देश

DigitalIndia : एक समय था जब सरकारी दफ्तरों की लंबी कतारें, मोटी फाइलें, और रिश्वत का जाल भारत के विकास में बड़ी रुकावट थे। लेकिन आज का भारत इस छवि से काफी आगे निकल चुका है — और इस बदलाव के केंद्र में है Digital India

आज भारत का हर नागरिक — चाहे वह गांव का किसान हो, शहर का स्टार्टअप फाउंडर हो, या किसी सरकारी योजना का लाभार्थी — सबकी ज़िंदगी तकनीक के सहारे तेज़, पारदर्शी और सुविधाजनक हो गई है।

जब मोबाइल बना मिनी बैंक

UPI (Unified Payments Interface) ने तो मानो क्रांति ही ला दी है। छोटे से पानवाले से लेकर बड़े शोरूम तक, आज हर जगह QR कोड लगे हैं। कैश रखने की ज़रूरत नहीं, बस मोबाइल उठाइए, स्कैन कीजिए और पेमेंट हो गया। आज भारत रोज़ाना 45 करोड़ से अधिक UPI ट्रांजैक्शन करता है — और वो भी महज़ कुछ सेकंड्स में।

DBT: सीधा लाभ, बिना बिचौलिये

“Direct Benefit Transfer” यानी DBT ने लाखों-करोड़ों लोगों को सीधे सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाया है। पहले जो पैसा रास्ते में बिचौलियों के पास अटक जाता था, वो अब सीधे लाभार्थियों के बैंक खाते में ट्रांसफर हो रहा है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत अब तक करोड़ों किसानों को सीधे आर्थिक सहायता उनके खातों में भेजी जा चुकी है।

CoWIN और वैक्सीनेशन की डिजिटल सफलता

कोरोना महामारी के समय CoWIN प्लेटफॉर्म ने दुनिया को दिखा दिया कि कैसे एक देश अपनी इतनी बड़ी आबादी का डिजिटली मैनेज्ड वैक्सीनेशन कर सकता है। वैक्सीन सर्टिफिकेट अब एक क्लिक पर उपलब्ध है, और विदेश यात्रा करने वाले लोगों के लिए यह एक भरोसेमंद डिजिटल दस्तावेज़ बन गया है।

दस्तावेज़ों की नहीं, अब डिजिलॉकर की जरूरत

अब न तो मार्कशीट की फोटोकॉपी करवानी पड़ती है, न आधार या पैन कार्ड की हार्ड कॉपी की चिंता रहती है। DigiLocker जैसे प्लेटफॉर्म्स ने डॉक्युमेंट्स को ऑनलाइन उपलब्ध और वैध बना दिया है — कॉलेज एडमिशन हो या नौकरी का आवेदन, सब कुछ अब क्लाउड पर।

किसान भी हुए डिजिटल

किसानों के लिए e-NAM (Electronic National Agriculture Market) जैसे पोर्टल ने मंडियों की सीमाओं को तोड़ दिया है। अब किसान अपने उत्पादों की कीमत ऑनलाइन देख सकते हैं और बेहतर दाम पर बिक्री कर सकते हैं। इससे बिचौलियों पर निर्भरता भी घटी और मुनाफा भी बढ़ा।

स्टार्टअप और JAM ट्रिनिटी

Digital India के दम पर भारत अब दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम बन चुका है। वहीं JAM (Jan Dhan, Aadhaar, Mobile) ट्रिनिटी ने देश के अंतिम व्यक्ति को भी डिजिटल सिस्टम से जोड़ दिया है।

वन नेशन, वन राशन कार्ड: अब राशन भी मोबाइल से

अगर कोई मजदूर बिहार से आकर दिल्ली में काम कर रहा है, तो अब उसे राशन के लिए अपने गांव नहीं जाना पड़ता। ‘वन नेशन, वन राशन कार्ड’ योजना से उसे कहीं भी सब्सिडी वाला राशन मिल सकता है — बस आधार और थंब लगाइए।


निष्कर्ष

Digital India केवल एक नारा नहीं, बल्कि 21वीं सदी के भारत का वो सपना है जो अब हकीकत बन चुका है। अब विकास का रास्ता हाईवे से नहीं, फाइबर नेटवर्क से होकर गुजरता है।
यह वो समय है जब कह सकते हैं —
“अब देश चलता है सिर्फ कदमों से नहीं, क्लिक से!”

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