21 साल बाद फिर से शुरू हुई SIR प्रक्रिया, CEC ने बताया क्यों जरूरी है?

21 साल बाद चुनाव आयोग ने SIR प्रक्रिया शुरू की। मतदाता सूची को त्रुटिहीन बनाने के लिए देशभर में पुनरीक्षण, चार मुख्य कारण बताए।

SIR . देश में करीब 21 साल बाद चुनाव आयोग ने विशेष सघन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) प्रक्रिया को दोबारा शुरू करने की घोषणा की है। मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि यह पहल मतदाता सूची को त्रुटिहीन और पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से शुरू की गई है।

उन्होंने कहा कि 2002 से 2004 के बीच आखिरी बार SIR प्रक्रिया लागू की गई थी। इसके बाद से देश की जनसंख्या, प्रवासन और डाटा स्ट्रक्चर में बड़े बदलाव हुए हैं, जिसके कारण यह पुनरीक्षण अब बेहद आवश्यक हो गया है।

ज्ञानेश कुमार ने कहा कि कई राजनीतिक दलों ने मतदाता सूची की सटीकता पर चिंता जताई थी। ऐसे में आयोग ने निर्णय लिया है कि यह प्रक्रिया पूरे देश में चरणबद्ध तरीके से करवाई जाएगी।

चार कारण, जिनसे SIR प्रक्रिया आवश्यक बनी

प्रवासन (Migration): विकास के साथ बड़ी संख्या में लोग एक स्थान से दूसरे स्थान पर जा रहे हैं, जिससे पुराने पते पर नाम बने रहते हैं।
दोहरी प्रविष्टि (Duplicate Entry): माइग्रेशन के कारण मतदाता का नाम पुरानी और नई दोनों जगह दर्ज हो जाता है।
मृत मतदाता का नाम : कई मामलों में मृत्यु के बाद भी नाम मतदाता सूची में बने रहते हैं।

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विदेशी नागरिकों के नाम शामिल होना : कुछ मामलों में गलती से विदेशी नागरिकों के नाम भी जुड़ जाते हैं।

बिहार में पहला चरण सफल

CEC ज्ञानेश कुमार ने बताया कि SIR का पहला चरण बिहार में सफलतापूर्वक पूरा हुआ, जिसमें 7.5 करोड़ मतदाताओं ने भाग लिया। उन्होंने बताया कि यह चरण “Zero Appeals” के साथ संपन्न हुआ, जो पारदर्शिता की दिशा में बड़ी उपलब्धि है।

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उन्होंने कहा कि अब जिन राज्यों में यह प्रक्रिया शुरू होगी, वहाँ मतदाता सूची आज रात से फ्रीज़ कर दी जाएगी। आयोग का लक्ष्य है कि आने वाले महीनों में पूरे देश की मतदाता सूची को शुद्ध और अपडेटेड किया जाए।

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