Electric Vehicle (EV) sector has suffered: चीन की चाल में फंसा भारत! ईवी कंपनियों ने घटाया उत्पादन, बढ़ी चिंता
Electric Vehicle (EV) sector has suffered: भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) सेक्टर को एक बड़ा झटका लगा है। चीन द्वारा भारी दुर्लभ मृदा (Heavy Rare Earth – HRE) से बने मैग्नेट्स के निर्यात पर नए नियम और प्रतिबंध लगाने से भारत की प्रमुख ईवी कंपनियों को उत्पादन घटाने पर मजबूर होना पड़ा है।
बजाज, एथर और टीवीएस पर सीधा असर
इन चुम्बकों की कमी के कारण बजाज ऑटो, एथर एनर्जी और टीवीएस मोटर जैसी बड़ी कंपनियों के लिए मुश्किलें खड़ी हो गई हैं।
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बजाज ऑटो, जो देश की दूसरी सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन निर्माता है, अपना आधा उत्पादन कम कर सकती है।
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एथर एनर्जी भी 8-10% तक उत्पादन घटाने की योजना बना रही है।
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टीवीएस मोटर, जिसने हाल के महीनों में बेहतरीन प्रदर्शन किया है, अब उत्पादन में कटौती पर विचार कर रही है।
चुम्बकों की क्यों है इतनी जरूरत?
ये रेयर अर्थ मैग्नेट्स इलेक्ट्रिक गाड़ियों के मोटर्स के लिए अत्यंत आवश्यक होते हैं। चीन इस समय इनका प्रमुख निर्यातक है, लेकिन पिछले चार महीनों से सप्लाई में रुकावटें आ रही हैं। टीवीएस मोटर के एक प्रवक्ता ने कहा, “ईवी सप्लाई चेन में दिक्कतें आ रही हैं। चुम्बकों की उपलब्धता एक बड़ी समस्या है। हम इन चुनौतियों से निपटने की कोशिश कर रहे हैं।”
ओला इलेक्ट्रिक पर नहीं पड़ा असर
दूसरी ओर, ओला इलेक्ट्रिक ने दावा किया है कि उनके उत्पादन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
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कंपनी ने पहले से ही 5-6 महीने का स्टॉक जमा कर लिया है।
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साथ ही ओला वैकल्पिक सप्लाई चेन पर भी काम कर रही है।
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सूत्रों के अनुसार, जुलाई में ओला उत्पादन बढ़ा भी सकती है।
हालांकि, ओला की बिक्री में गिरावट आने के कारण उस पर असर कम दिख रहा है। जून महीने में ओला लगातार दूसरे महीने तीसरे स्थान पर खिसक गई।
चार कंपनियों का बाजार पर दबदबा
बजाज, एथर, टीवीएस और ओला – इन चार कंपनियों का भारत के ईवी टू-व्हीलर बाजार में बड़ा योगदान है। आंकड़ों के अनुसार, हर 10 में से 8 ईवी दोपहिया वाहन इन्हीं कंपनियों द्वारा बनाए जाते हैं।
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सरकार और उद्योग उठा रहे कदम
रेयर अर्थ मैग्नेट्स की कमी को देखते हुए सरकार और ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री ने चीन से बातचीत शुरू की है।
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भारत वियतनाम, इंडोनेशिया और जापान जैसे देशों से भी इन चुम्बकों की सप्लाई के लिए संपर्क में है।
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हालांकि, फिलहाल कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया है और बाजार में कमी बरकरार है।