Lucknow News : ‘बिना वजह जांच जारी रखना अवैधानिक’, हाईकोर्ट ने यूपी सरकार पर लगाया जुर्माना

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार पर एक अपहरण मामले में अनावश्यक जांच जारी रखने के लिए ₹75,000 का जुर्माना लगाया है।

Lucknow News. इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार पर एक अपहरण मामले में अनावश्यक जांच जारी रखने के लिए ₹75,000 का जुर्माना लगाया है। अदालत ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि जब कथित पीड़िता ने स्वयं मजिस्ट्रेट के समक्ष यह स्पष्ट कर दिया था कि वह अपनी इच्छा से घर छोड़कर गई थी, तब भी जांच जारी रखना पूरी तरह अनुचित और कानून के विरुद्ध था।

न्यायमूर्ति अब्दुल मोइन और न्यायमूर्ति बबीता रानी की खंडपीठ ने यह आदेश उम्मेद उर्फ उबैद खान और अन्य की याचिका पर दिया। याचिकाकर्ताओं ने बहराइच जिले के मटेरा थाना क्षेत्र में भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 140 (हत्या के लिए अपहरण) के तहत दर्ज एफआईआर को निरस्त करने की मांग की थी।

18 सितंबर को भेजा गया था जेल 

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि लगाए गए जुर्माने में से ₹50,000 याचिकाकर्ता उम्मेद को दिए जाएं, जिन्हें 18 सितंबर 2025 को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था, जबकि शेष ₹25,000 उच्च न्यायालय की कानूनी सेवा समिति को प्रदान किए जाएं।

अदालत के अनुसार, जांच के दौरान महिला को बरामद कर 19 सितंबर 2025 को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 183 के तहत न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया गया था। अपने बयान में महिला ने बताया कि वह अपने पति की मारपीट से परेशान होकर स्वेच्छा से दिल्ली अपनी बेटी से मिलने गई थी। उसने किसी भी तरह के अपहरण या धर्म परिवर्तन के आरोपों से इनकार किया।

महिला ने आरोपों को ही नकार दिया

पीठ ने कहा कि जब महिला ने मजिस्ट्रेट के समक्ष एफआईआर के आरोपों को ही नकार दिया, तो पुलिस द्वारा जांच जारी रखना और उम्मेद को जेल में रखना अनुचित और गैरकानूनी था।

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अदालत ने झूठी एफआईआर को रद्द करते हुए कहा कि उम्मेद को अनावश्यक रूप से हिरासत में रखा गया, और आदेश दिया कि यदि वह किसी अन्य मामले में वांछित नहीं हैं, तो उन्हें तुरंत रिहा किया जाए।

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