Jammu-Kashmir: जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग, फारूक अब्दुल्ला ने केंद्र पर साधा निशाना

Jammu-Kashmir: नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने एक बार फिर केंद्र सरकार पर जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग को पूरा न करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी इस मुद्दे को लगातार शीर्ष स्तर पर उठा रही है और हर बार जब वह प्रधानमंत्री से मिलते हैं, तो वह इस मुद्दे पर बात करते हैं।

कांग्रेस की भूख हड़ताल का समर्थन

जम्मू-कश्मीर कांग्रेस द्वारा 9 अगस्त को राज्य के दर्जे की मांग को लेकर आयोजित की जाने वाली भूख हड़ताल के बारे में पूछे जाने पर अब्दुल्ला ने कहा कि उनकी पार्टी पहले से ही इस लड़ाई में शामिल है। उन्होंने अपने अधिकार मिलने पर विश्वास जताते हुए कहा, “हम उनके जैसे नहीं हैं, हम उस एक (ईश्वर) में विश्वास करते हैं, जो सबका मालिक है। हमें अपने अधिकार जरूर मिलेंगे।”

संसद सत्र पर उठाए सवाल

चल रहे संसद सत्र का जिक्र करते हुए अब्दुल्ला ने केंद्र पर तंज कसा। उन्होंने कहा कि हम उनसे क्या उम्मीद कर सकते हैं, जो अभी तक 4 राज्यसभा सीटें और दो विधानसभा सीटें नहीं भर सके।

वैश्विक आर्थिक संकट पर चिंता व्यक्त की

फारूक अब्दुल्ला ने वैश्विक आर्थिक चिंताओं पर भी अपनी राय रखी। उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय वस्तुओं पर 25% टैरिफ लगाने के हालिया फैसले की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि यह भारत की अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा संकट है।

अब्दुल्ला ने कहा, “भाजपा जो चाहे कह देती है, इसी तरह ट्रंप भी चिल्लाते रहते हैं कि उन्होंने यहां शांति स्थापित की है। आज उन्होंने जुर्माने के साथ 25% टैरिफ लगा दिया है। हमारे विनाश का सामान तैयार किया जा रहा है। सारे उद्योगपति यहां से भाग रहे हैं। वे दुबई से काम करेंगे और यहां भिखारियों की संख्या बढ़ जाएगी।”

ट्रंप की प्रशंसा पर साधा निशाना

अब्दुल्ला ने उन लोगों पर भी निशाना साधा जो ट्रंप की प्रशंसा करते हैं। उन्होंने कहा, “जिन देशों ने उन्हें नोबेल पुरस्कार के लिए समर्थन दिया है, उनके नाम शायद ही किसी को पता हों। अगर हम भी कहें कि हां उन्होंने हमारी मदद की है और वे वहां विश्व गुरु बनकर बैठे हैं तो क्या फर्क पड़ता है।”

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उन्होंने इस फैसले के संभावित परिणामों के बारे में चेतावनी देते हुए कहा, “यह हमारे लिए बहुत बड़ा विनाश होगा, चाहे कोई माने या न माने। क्या आप जानते हैं कि इससे किसे फायदा होगा? बांग्लादेश और कंबोडिया को। वे खुश होंगे, यह अफसोस की बात है।”

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