JP Nadda Controversy: जेपी नड्डा ने जगदीप धनखड़ के इस्तीफे पर तोड़ी चुप्पी, सस्पेंस से उठाया पर्दा
JP Nadda Controversy: भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार शाम अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया, जिससे राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई। उन्होंने अपने इस्तीफे में स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया, लेकिन कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने इस पर संदेह जताया है। सवाल उठ रहे हैं कि क्या जेपी नड्डा और किरेन रिजिजू की गैरमौजूदगी से वह नाराज थे या फिर सदन में दिए गए किसी बयान से आहत हुए?
जेपी नड्डा की सफाई
भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने न्यूज18 इंडिया से ऑफ कैमरा बातचीत में इन अटकलों पर सफाई दी। उन्होंने बताया कि 4:30 बजे उपराष्ट्रपति द्वारा बुलाई गई बीएसी बैठक में वह और किरेन रिजिजू किसी अन्य महत्वपूर्ण संसदीय कार्य में व्यस्त होने के कारण शामिल नहीं हो सके। उन्होंने कहा, “हमने उपराष्ट्रपति कार्यालय को इसकी पूर्व सूचना दे दी थी।”
‘रिकॉर्ड में नहीं जाएगा’ बयान पर भी दी सफाई
जेपी नड्डा ने उस विवादित बयान पर भी प्रतिक्रिया दी जिसमें उन्होंने कहा था, “आप जो बोल रहे हैं वो रिकॉर्ड में नहीं जाएगा।” उन्होंने स्पष्ट किया कि यह टिप्पणी विपक्षी सांसदों की लगातार टोकाटाकी के संदर्भ में थी, न कि उपराष्ट्रपति या चेयर की ओर।
बैठक के दौरान क्या हुआ था?
21 जुलाई को दोपहर 12:30 बजे जगदीप धनखड़ की अध्यक्षता में बीएसी बैठक हुई, जिसमें अधिकांश सदस्य शामिल हुए थे। इसमें 4:30 बजे दोबारा बैठक का निर्णय लिया गया, लेकिन नड्डा और रिजिजू इसमें उपस्थित नहीं हुए। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि उनकी अनुपस्थिति जानबूझकर थी, जिससे उपराष्ट्रपति आहत हुए।
धनखड़ का कार्यकाल और इस्तीफे का असर
धनखड़ का कार्यकाल अगस्त 2022 में शुरू हुआ था और 2027 तक जारी रहना था। राज्यसभा के सभापति के रूप में उनका विपक्ष से कई बार टकराव हुआ। वे स्वतंत्र भारत में कार्यकाल के दौरान इस्तीफा देने वाले तीसरे उपराष्ट्रपति बन गए हैं।
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अब आगे क्या?
संविधान के अनुसार, उपराष्ट्रपति पद खाली होने की स्थिति में 60 दिनों के भीतर चुनाव कराना अनिवार्य है। राजग को निर्वाचक मंडल में बहुमत हासिल है, जिससे उसके उम्मीदवार के जीतने की संभावना अधिक है।