मन और मिजाज के साथ दल बदलते नेता

। बालाघाट के पूर्व सांसद बोधसिंह ने पार्टी छोड़ कांग्रेस में चले गए। पार्टी के पूर्व मंत्री दीपक जोशी के कांग्रेस ज्वाइन करने के बाद से हर दो-चार दिन में कोई न कोई नेता भाजपा का साथ छोडऱहा है। जानकारों की मानें तो अभी तक 35 से ज्यादा छोटे-बड़े नेताओं का पार्टी से मोहभंग हो चुका है इसमें जनसंघ के समय के नेता तक शामिल हैं। बड़ा सवाल ये है कि आखिर ऐसा क्या हो गया कि पार्टी के वरिष्ठ नेता संगठन को आइना दिखा रहे हैं।

विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच राजनेताओं का दल के साथ मन और मिजाज बदलना तेज हो गया है। वैसे तो हर चुनावी सीजन में ऐसा होता है मगर इस बार भाजपा में भगदड़ सी मची है। दल बदल से पार्टी नेताओं के माथे पर बल पैदा हो रहे हैं।

पार्टी छोडऩे वाले कांग्रेस में भी हैं लेकिन फिलहाल संख्या भाजपा छोडऩे वाले नेताओं की ज्यादा है। गत दिवस पार्टी को एक और झटका लगा। बालाघाट के पूर्व सांसद बोधसिंह ने पार्टी छोड़ कांग्रेस में चले गए। पार्टी के पूर्व मंत्री दीपक जोशी के कांग्रेस ज्वाइन करने के बाद से हर दो-चार दिन में कोई न कोई नेता भाजपा का साथ छोडऱहा है। जानकारों की मानें तो अभी तक 35 से ज्यादा छोटे-बड़े नेताओं का पार्टी से मोहभंग हो चुका है इसमें जनसंघ के समय के नेता तक शामिल हैं। बड़ा सवाल ये है कि आखिर ऐसा क्या हो गया कि पार्टी के वरिष्ठ नेता संगठन को आइना दिखा रहे हैं।

असंतोष पर खुलकर बात तक कर रहे हैं। मुखर होने के बाद जिनसे उपेक्षा सहन नहीं हो रही है वे पार्टी छोडऩे में भी देर नहीं कर रहे हैं। ऐसे में दल-बदल का चुनाव परिणामों या राजनीतिक पार्टियों की संभावनाओं पर क्या प्रभाव पड़ेगा? यह तो चुनाव के परिणाम ही बताएंगे लेकिन इससे कार्यकर्ताओं पर जो मनोवैज्ञानिक असर पड़ रहा है वह संगठन के लिए चिंता की बात है क्योंकि छोटा कार्यकर्ता ही जनता से सीधे संवाद करता है और जब मैदान में नेता का पाला बदलता है तो समर्थक भी उसके साथ हो लेते हैं।    

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