अपनी सरकार के खिलाफ हाथी पर बैठे इंदौर के शेर
दबंग छवि के सेठ एक ऐसे नेता थे जो सच के लिए अपनी पार्टी लाइन को लांघने से भी पीछे नहीं हटते थे। वैसे तो सेठ ने कई बार अनशन आंदोलन कर सरकार की नीतियों का विरोध किया लेकिन एक बार तो वे हाथी से विरोध करने विधानसभा पहुंच गए।
राजनीति में आज का किस्सा इंदौर के शेर सुरेश सेठ के नाम। सुरेश सेठ का नाम याद आते ही पुराने जमाने के राजनेताओं को हाथी पर बैठे शेर की याद ताजा हो आती है। उनका मिजाज और रुतबा औरों से अलग था। राजनीति में उन्होंने अपनी अलग लाइन बनाई और जीवनभर उस पर चले भी। सुरेश सेठ ने राजनीतिक जीवन की शुरुआत वर्ष 1957 में पार्षद का चुनाव लड़कर की थी। 1969 में इंदौर नगर निगम के महापौर बने। तब शहर के कई इलाकों में सड़कों पर कंदील जलाकर रोशनी की जाती थी। सेठ ने ही पहली बार सड़कों को बिजली के बल्बों से रोशन किया। सेठ इंदौर के महापौर रहने के साथ ही कांग्रेस सरकार में मंत्री भी रहे। स्ट्रीट लाइट भी लगाने की कहानी बड़ी रोचक है। मेयर बनते ही इंदौर को सजाने का सपना सेठ ने मुंबई की राह पकड़ी। सेठ मुंबई में कई दिनों तक रहे और मुंबई की गलियों में घूमकर वहां के विकास को देखा और फिर उसी तर्ज पर इंदौर को संवारने का सिलसिला शुरु हुआ। सेठ की साफगोई के कई किस्से है।
दबंग छवि के सेठ एक ऐसे नेता थे जो सच के लिए अपनी पार्टी लाइन को लांघने से भी पीछे नहीं हटते थे। वैसे तो सेठ ने कई बार अनशन आंदोलन कर सरकार की नीतियों का विरोध किया लेकिन एक बार तो वे हाथी से विरोध करने विधानसभा पहुंच गए। सेठ को यह बात पता थी कि वहां पर बड़ी संख्या में पुलिस बल मौजूद है जो उन्हें रोकने की कोशिश करेगा। इसी को देखते हुए उन्होंने हाथी से विधानसभा पहुंचने का फैसला किया और गैट तक पहुंचे।
संसद में बोले राहुल गांधी, ‘डरो मत, डरो मत….https://t.co/AqqapGpRc4#RahulGandhi #SansadBhawan #akhileshयादव #prinkagandhi #ModiGovernment #NarendraModi
— Ek Sandesh (@EkSandesh236986) September 21, 2023
तत्कालीन मध्यप्रदेश सरकार ने इंदौर की शान राजवाड़ा निजती हाथों में बेच दिया था। तब सेठ साहब ने 1974 में राजवाड़ा की बिक्री के खिलाफ आंदोलन चलाया। विरोध प्रदर्शन के बाद सरकार ने 1976 में अपना निर्णय वापस लेते हुए राजवाड़ा जनता को समर्पित किया।