Lucknow News : लोहिया अस्पताल के पास कैसे खुल गई शराब की दुकान?, हाईकोर्ट ने आबकारी आयुक्त से मांगा जवाब
Lucknow News : इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने आबकारी आयुक्त से पूछा है कि लखनऊ के विभूति खंड स्थित डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल के पास शराब की दुकान कैसे खुली।
Lucknow News : इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने आबकारी आयुक्त से सवाल किया है कि आखिर गोमतीनगर के विभूति खंड स्थित डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के 100 मीटर से भी कम दायरे में शराब और बीयर की दुकान कैसे खोली गई। अदालत ने इस मामले में आबकारी आयुक्त से जवाब तलब करते हुए पूछा कि जानकारी मिलने के बाद क्या कार्रवाई की गई।
न्यायमूर्ति आलोक माथुर और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने यह आदेश 6 नवंबर को स्थानीय निवासी दिनेश यादव और अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया। मामले की अगली सुनवाई 14 नवंबर को होगी।
याचिकाकर्ताओं की दलील
याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव मेहरोत्रा ने दलील दी कि लोहिया संस्थान के मुख्य द्वार के ठीक पास अंग्रेजी शराब और बीयर की दुकान का लाइसेंस जारी किया गया है। उन्होंने कहा कि यह लाइसेंस सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है, जिसमें यह स्पष्ट किया गया है कि अस्पतालों, स्कूलों या धार्मिक स्थलों से कम से कम 100 मीटर की दूरी पर ही शराब की दुकान खोली जा सकती है।
राज्य सरकार का पक्ष
राज्य सरकार ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि दुकान लोहिया संस्थान के गेट से 53 मीटर दूरी पर स्थित है, इसलिए इसमें कोई अवैधता नहीं है। हालांकि, याचिकाकर्ता पक्ष ने तर्क दिया कि उत्तर प्रदेश बनाम मनोज कुमार द्विवेदी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को 100 मीटर की सीमा अनिवार्य रूप से लागू करने का निर्देश दिया था। यह कहते हुए उन्होंने सवाल उठाया कि जब सरकार स्वयं उस मामले की पक्षकार थी, तब अब इस नियम का उल्लंघन कैसे किया जा सकता है।
अदालत का रुख
अदालत ने इस पर आबकारी आयुक्त से जवाब तलब करते हुए पूछा कि क्या इस प्रकरण में कोई जांच की गई या कार्रवाई हुई है। साथ ही, अदालत ने दुकान के लाइसेंसधारी नितिन जायसवाल को भी नोटिस जारी करने का आदेश दिया।
नियमों का हवाला
उत्तर प्रदेश आबकारी दुकान एवं अवस्थिति नियमावली 1968 के नियम 5(4) के अनुसार, किसी भी आवासीय क्षेत्र, अस्पताल, स्कूल, फैक्ट्री या धार्मिक स्थल के नजदीक शराब की दुकान नहीं खोली जा सकती।
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अदालत ने राज्य सरकार के वकील से इस मुद्दे पर सरकार का स्पष्ट रुख पेश करने के निर्देश दिए हैं।


