New Delhi: विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर जे.पी. नड्डा का संदेश, युवाओं को भ्रामक विपणन से बचाने की आवश्यकता

New Delhi: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा ने विश्व तंबाकू निषेध दिवस के अवसर पर युवाओं में तंबाकू के दुष्प्रभावों को लेकर व्यापक जागरूकता की आवश्यकता पर बल दिया। शनिवार को एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर साझा किए गए अपने संदेश में उन्होंने कहा कि समाज को एकजुट होकर यह सुनिश्चित करना होगा कि युवा वर्ग तंबाकू की लत का शिकार न हो पाए।

नड्डा ने कहा कि इस वर्ष की थीम “तंबाकू के विज्ञापन का पर्दाफाश करना: तंबाकू और निकोटीन उत्पादों पर उद्योग की चालों को उजागर करना” यह दर्शाती है कि कैसे तंबाकू उद्योग भ्रामक विपणन रणनीतियों के माध्यम से विशेषकर युवाओं को आकर्षित करने का प्रयास करता है। उन्होंने इस प्रकार की रणनीतियों को पहचानने और उनके विरुद्ध सामूहिक कार्रवाई की जरूरत पर ज़ोर दिया। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे तंबाकू मुक्त समाज की दिशा में कदम बढ़ाएं और एक स्वस्थ भविष्य के निर्माण में सहभागी बनें।

गौरतलब है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 1987 में तंबाकू सेवन से होने वाली बीमारियों और समयपूर्व मृत्यु को रोकने के उद्देश्य से विश्व तंबाकू निषेध दिवस की शुरुआत की थी। पहली बार यह दिवस 31 मई 1988 को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाया गया। तब से हर वर्ष 31 मई को यह दिन तंबाकू के प्रति जागरूकता फैलाने, नीतियों को सशक्त बनाने और सामाजिक सहयोग को प्रोत्साहित करने के लिए मनाया जाता है।

वर्तमान में तंबाकू का सेवन एक वैश्विक स्वास्थ्य संकट बना हुआ है। हर साल इससे करीब 80 लाख लोगों की मृत्यु होती है। ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वेक्षण (GATS) के अनुसार, भारत में लगभग 28.6% वयस्क—यानी लगभग 26.68 करोड़ लोग—किसी न किसी रूप में तंबाकू का सेवन करते हैं, चाहे वह धूम्रपान हो, चबाना, मसूड़ों पर लगाना या सूंघना। इनमें से 87% लोग नियमित रूप से तंबाकू का उपयोग करते हैं, जबकि शेष कभी-कभार करते हैं। चिंताजनक तथ्य यह है कि 21.4% उपभोक्ता स्मोकलेस तंबाकू (जैसे गुटखा, पान मसाला, जर्दा आदि) का उपयोग करते हैं, जो धूम्रपान करने वालों (10.7%) की तुलना में दोगुना से भी अधिक है। यह स्पष्ट संकेत है कि तंबाकू नियंत्रण केवल धूम्रपान तक सीमित नहीं रह सकता।

तंबाकू छुड़वाने के लिए देश भर के प्रमुख चिकित्सा संस्थानों में सुविधाएं उपलब्ध हैं। एम्स दिल्ली सहित कई अस्पतालों और डेंटल क्लीनिकों में तंबाकू समाप्ति क्लीनिक संचालित की जा रही हैं, जहां परामर्श, दवा, सतत सहयोग और तंबाकू जनित रोगों की प्रारंभिक पहचान कर उनका उपचार किया जाता है। ये क्लीनिक मुंह के घावों और प्रारंभिक कैंसर की रोकथाम में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।

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तंबाकू उन्मूलन के लिए केवल व्यक्तिगत प्रयास ही नहीं, बल्कि नीति निर्माताओं, स्वास्थ्यकर्मियों, शिक्षकों और पूरे समाज का सहयोग आवश्यक है। तभी हम एक स्वस्थ, जागरूक और तंबाकू-मुक्त भारत का निर्माण कर सकते हैं।

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