New Delhi News- नेशनल स्पेस मीट 2.0 में अंतरिक्ष अनुप्रयोगों के माध्यम से विकसित भारत 2047 का रोडमैप होगा तैयार

New Delhi News-  चंद्रयान-3 के विक्रम रोवर की चंद्रमा पर सफल सॉफ्ट लैंडिंग की दूसरी वर्षगांठ के अवसर पर मनाए जा रहे राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के तहत भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शुक्रवार को भारत मंडपम में नेशनल स्पेस मीट 2.0 का आयोजन किया। इस सम्मेलन का विषय “विकसित भारत 2047 के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और अनुप्रयोगों का लाभ उठाना” है।

दो दिवसीय सम्मेलन में विकसित भारत 2047 के लिए भारत के अंतरिक्ष अनुप्रयोगों के माध्यम से रोडमैप तैयार किया जाएगा। इस सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पी.के. मिश्रा ने भारत की अंतरिक्ष यात्रा की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन ‘समग्र शासन दृष्टिकोण’ का प्रतीक है, जहां 60 से अधिक विभागों ने कृषि और स्वास्थ्य से लेकर आपदा प्रबंधन और जलवायु लचीलापन तक में उपग्रहों, नेविगेशन और भू-स्थानिक उपकरणों को मुख्यधारा में शामिल किया है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा प्रारंभ किए गए परिवर्तनकारी दृष्टिकोण का उल्लेख करते हुए मिश्रा ने कहा कि सुधारों और नीतियों ने अभूतपूर्व अवसरों के द्वार खोले हैं। वर्ष 2014 में जहां केवल एक-दो स्टार्टअप थे, वहीं अब यह क्षेत्र बढ़कर 350 से अधिक स्टार्टअप्स तक पहुंच गया है। उन्होंने युवाओं और स्टार्टअप्स को मार्गदर्शन देकर एक सशक्त पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिए इसरो की सराहना की। साथ ही, स्पेक्ट्रम आवंटन, वेंचर कैपिटल फंड और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण जैसे सुधारों ने भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र को विस्तार योग्य, नवाचारपूर्ण और लचीला बनाया है।

इस मौके पर इसरो के अध्यक्ष वी. नारायणन ने भारत की अद्भुत अंतरिक्ष यात्रा का स्मरण करते हुए बताया कि कैसे 1963 में थुम्बा से साधारण रॉकेट प्रक्षेपण की शुरुआत हुई और आज भारत को अंतरिक्ष क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व करने के लिए तैयार है। 1975 के एटीएस-6 प्रयोग जैसे ऐतिहासिक पड़ाव को याद करते हुए उन्होंने उस समय ग्रामीण भारत में केवल 2,400 टेलीविजन सेटों तक शिक्षा पहुँचाने और आज के समय में 55 परिचालन उपग्रहों के बेड़े के बीच का अंतर उजागर किया, जो प्रसारण, दूरसंचार, टेलीमेडिसिन, आपदा चेतावनी और मत्स्य संसाधन निगरानी जैसी सेवाओं को सशक्त बना रहे हैं।

अगले दशक के एजेंडे को रेखांकित करते हुए नारायणन ने क्षमता वृद्धि- नए उपकरणों, स्वायत्त नक्षत्रों और एकीकृत प्रणालियों पर जोर दिया। इसके साथ अनुप्रयोगों का संस्थानीकरण और निजी क्षेत्र की गहन भागीदारी पर भी जोर दिया।

उन्होंने कहा कि साल 2040 तक भारत रॉकेट, उपग्रह और अनुप्रयोगों के क्षेत्र में वैश्विक अग्रणी देशों के समकक्ष खड़ा होगा और विकसित भारत 2047 में एक महत्वपूर्ण योगदान देगा।

इस बैठक में केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों के सचिवों और वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। इस दौरान 10 विस्तृत सत्र आयोजित किए गए, जिनमें कृषि एवं जल,वन, पर्यावरण एवं ऊर्जा नीति, बुनियादी ढांचा विकास एवं भू-शासन, स्वास्थ्य, शिक्षा एवं समाज कल्याण, संचार, नौवहन एवं प्रौद्योगिकी प्रसार शामिल है।

New Delhi News-Read Also-Kanpur News- गरीब एवं वंचित वर्ग को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने का सभी चिकित्सकों का दायित्व: जिलाधिकारी

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button