New Delhi News-बिहार एसआईआर पर 14 अगस्त को भी सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

New Delhi News-उच्चतम न्यायालय में जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के खिलाफ दायर याचिकाओं पर कल यानि 14 अगस्त को भी सुनवाई करेगा।

बुधवार काे सुनवाई के दौरान वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि मैं गारंटी से कह सकता हूं कि बिहार में हुई विशेष गहन पुनरीक्षण में जो एन्यूमरेशन फॉर्म भरा गया है, उनमें से 25 फीसदी से अधिक लोगों के पास इन 11 दस्तावेजों में से एक भी दस्तावेज होगा। ये फॉर्म बीएलओ द्वारा भरा गया है। यही वजह है कि ड्राफ्ट रोल में मृत लोगों के नाम हैं। भूषण ने कहा कि निर्वाचन आयोग ने पहले आधार, राशन कार्ड वोटर कार्ड को अस्वीकार कर दिया। निर्वाचन आयोग ने इन दस्तावेजों को ऐसे अस्वीकार किया जैसे बाकी के दस्तावेज नागरिकता के प्रमाण पत्र हों।

सुनवाई के दौरान वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि विशेष गहन पुनरीक्षण में जिन 11 दस्तावेजों को शामिल किया गया है, बिहार में अधिकांश मतदाताओं के पास नहीं मिलेगा। वोटर कार्ड सबसे बेहतर पहचान पत्र है और उसे शामिल नहीं किया गया है। आधार जो सबके पास मौजूद है उसे भी शामिल नहीं किया गया है। बिहार में पासपोर्ट मात्र एक से दो फीसदी लोगों के पास मिलेगा। निवास प्रमाण पत्र किसी के पास नहीं मिलेगा। जिनके पास जमीन नहीं उनके पास संपत्ति का दस्तावेज कैसे मिलेगा। क्रेडिट कार्ड एक बेहतर दस्तावेज हो सकता था। लेकिन इस पर बात करने का कोई मतलब नहीं है। तब जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि बिहार को लेकर ऐसी बातें मत कीजिए। आज भी सबसे अधिक आईएएस बिहार से आते हैं। तब सिंघवी ने कहा कि बिहार में बेहद प्रतिभाशाली वैज्ञानिक भी हैं। लेकिन यह एक खास वर्ग के लोगों तक ही सीमित है। बिहार में ग्रामीण, बाढ़ग्रस्त इलाके हैं। गरीबी से ग्रस्त इलाके हैं। सिंघवी ने कहा कि गहन पुनरीक्षण पर कोई आपत्ति नहीं है लेकिन चुनाव से ठीक पहले पहले क्यों। इसे बाद में करवाएं, इसे पूरा करने में पूरा साल लग जाएगा।

कोर्ट ने 12 अगस्त को सुनवाई के दौरान कहा था कि लगता है कि विशेष गहन पुनरीक्षण की कार्रवाई को लेकर भरोसा का अभाव है। कोर्ट ने आरजेडी नेता मनोज झा की ओर से पेश वकील कपिल सिब्बल से कहा था कि 7.9 करोड़ मतदाताओं में से अगर 7.24 मतदाताओं ने विशेष गहन पुनरीक्षण की कार्रवाई में भाग लिया है तो ये कहना गलत है कि एक करोड़ वोटर्स को मतदान करने से रोका जा रहा है। उच्चतम न्यायालय ने निर्वाचन आयोग की इस दलील से भी सहमति जाहिर किया था कि आधार और मतदाता पहचान पत्र नागरिकता साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं।

सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट को बताया था कि एक विधानसभा क्षेत्र के 12 लोग जो जीवित हैं उन्हें मृत बताकर उनका नाम वोटर लिस्ट से काटा गया है। कुछ लोग ऐसे हैं जो मृत हैं उनका नाम लिस्ट में है। इस पर निर्वाचन आयोग की ओर से पेश वकील राकेश द्विवेदी ने जीवित लोगों को मृत बताकर नाम काटने पर सफाई देते हुए कहा कि यह ड्राफ्ट रोल है। हमने नोटिस जारी किया है कि जिनको कोई आपत्ति है अपनी आपत्तियां बताएं, सुधार करने के लिए आवेदन जमा करें।

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