गर्भस्थ शिशु पर माता की मनः स्थिति और खानपान का पड़ता है प्रभाव: आनंदीबेन पटेल

लखनऊ। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने समापन कार्यक्रम में बोलते हुए गर्भ संस्कारों पर विशेष बल दिया। आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों का आवाह्न करते हुए उन्होंने कहा कि वो अपने-अपने गांवों में जाकर गर्भ धारण करने वाली महिलाओं को सिखाएं कि जन्म लेने वाला बच्चा गर्भ में ही बहुत कुछ सीख लेता है। ऐसे में अपने-अपने घरों का महौल इस तरह बनायें कि जन्म लेने वाले शिशु को बहुत सी शिक्षाएं गर्भ में शांति और धर्म की मिले, जिससे वह इस संसार में आने के बाद अच्छा नागरिक बन सके।

प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल रविवार को डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय लखनऊ के आई.ई.टी. परिसर में बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग द्वारा विश्व के सबसे बड़े गैर सरकारी शैक्षिक संस्थान विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश के सहयोग से आयोजित आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों के तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन सत्र में कहीं।

प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को सौभाग्यशाली बताया और कहा कि वो मां भी हैं और टीचर भी। वो बच्चों को जन्म भी देती हैं और राह भी दिखाती हैं। उन्होंने आंगनबाड़ी के बच्चों के लिये नई शिक्षा नीति के तहत मानकीकृत कोर्स भी लांच किया था। इसी कोर्स को लागू करने के लिये एकेटीयू में आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों और सुपरवाइजरों को 6 से 8 अगस्त तक ट्रेनिंग दी गई।

उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में अधिक महिलाओं की जरूरत है। शिक्षा में करीब 60 और आंगनबाड़ी में 100 फीसदी महिलाएं काम कर रही हैं। घर पर 3 साल तक माताएं बच्चों को संस्कार देती हैं। उन्होंने बताया कि गर्भस्थ शिशु पर माता की मनः स्थिति, वातावरण, खानपान का प्रभाव पड़ता है, इसके कई उदाहरण भी बताए। बच्चों के खान-पान और आदतों पर खास तवज्जो देने की बात कही।

आंगनबाड़ी कार्यकत्री प्रशिक्षण कार्यक्रम में राज्यपाल ने बच्चों को गांव में ही टूर कराने, जिसमें पंचायत भवन, पोस्ट ऑफिस, गांव का बाजार आदि दिखाने का सुझाव दिया। इससे बच्चों में देखकर वहां काम करने की उत्सुकता होगी। गणमान्य व्यक्तियों से मुलाकात कराएं। उन्हें बैठने, हाथ-पैर ऊपर-नीचे करने आदि का सलीका सिखाएं।

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