संसद से मिली ओबीसी आरक्षण विधेयक को मंजूरी, राज्यसभा ने भी लगाई मुहर

नई दिल्ली। राज्यों को ओबीसी आरक्षण सूची तैयार करने का अधिकार देने वाले 127वें संविधान संशोधन विधेयक को राज्यसभा की मंजूरी मिल गई है। संसद के उच्च सदन में मौजूद सभी 186 सांसदों ने इस बिल का समर्थन किया। इससे पहले लोकसभा ने भी इस बिल को मंजूरी दी थी। अब इस बिल को राष्ट्रपति के समक्ष पेश किया जाएगा और उनके हस्ताक्षर के साथ ही यह कानून के तौर पर लागू हो जाएगा।

लोकसभा में चर्चा के बाद पारित ओबीसी आरक्षण सूची तैयार करने का अधिकार देने वाले 127वें संविधान संशोधन विधेयक को बुधवार को राज्यसभा में पेश किया गया, जिसे लंबी चर्चा के बाद सर्वसम्मिति से पारित कर दिया गया। इस विधेयक के तहत देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अपने स्तर पर ओबीसी आरक्षण के लिए जातियों की सूची तय करने और उन्हें कोटा देने का अधिकार होगा। हाल ही में महाराष्ट्र सरकार की ओर से दिए गए मराठा कोटे को सुप्रीम कोर्ट से खारिज किए जाने के बाद केंद्र सरकार यह विधेयक लाई थी।

मराठा आरक्षण पर रोक लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राज्य सरकार की ओर से इस तरह किसी भी समुदाय को ओबीसी सूची में शामिल नहीं किया जा सकता। अदालत के इस फैसले से महाराष्ट्र में मिला मराठा आरक्षण खारिज हो गया था और राज्य में आंदोलन शुरू हो गए थे। इसके बाद सरकार यह बिल लाई है। इससे महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण की राह आसान होगी।

इसके अलावा अन्य राज्यों में भी प्रदेश सरकारों को अपने मुताबिक सूची तैयार करने का अधिकार मिलेगा। राज्यसभा में इस विधेयक पर बहस के दौरान कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार से आरक्षण की 50 फीसदी सीमा को भी खत्म करने की मांग की।

इससे पहले लोकसभा में भी विपक्षी दलों ने जातिवार जनगणना कराने और आरक्षण की सीमा को समाप्त करने की मांग की थी। लोकसभा में यह विधेयक पारित हुआ था और उसके बाद उसे अनिश्चितकाल यानी अगले सत्र तक के लिए स्थगित कर दिया है।

सदन में लगातार जारी हंगामे के बीच ओबीसी बिल पर ऐसा पहली बार देखने को मिला, जब संसद के दोनों सदनों में चर्चा हुई और बिना किसी बाधा के कामकाज हुआ। दोनों ही सदनों से ओबीसी विधेयक को ध्वनिमत से पारित किया गया है। दोनों सदनों के किसी भी सदस्य ने इस बिल का विरोध नहीं किया।

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