यूपी: आंदोलन पर बैठे ​अभ्यर्थियों में जगी आस, कहा- सीएम के फैसले का स्वागत है, लेकिन..

लखनऊ। परिषदीय विद्यालयों में शिक्षक भर्ती के लिए कमेटी गठित किए जाने से आंदोलित अभ्यर्थियों को अब थोड़ा चैन मिला है। शनिवार को अभ्यर्थियों ने कहा कि मुख्यमंत्री के फैसले का स्वागत है लेकिन उनके साथ अन्याय हुआ है। आज 80 दिन आंदोलन के हो चुके हैं ऐसे में सरकार को जल्दी से जल्दी इस पर विचार करना चाहिए।

इस बारे में संयुक्‍त परिषद के अध्‍यक्ष जेएन तिवारी ने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री से मुलाकात कर 69 हजार भर्ती मामले में अभ्‍यर्थियों के संघर्ष की जानकारी दी थी। साथ ही 20 जुलाई 2021 को बेसिक शिक्षा मंत्री को पत्र लिखकर आंदोलन का समाधान निकालने का रास्ता सुझाया था। उन्होंने कहा कि विभिन्न राजनीतिक पार्टियां आंदोलनकारियों के बीच जाकर अपनी राजनीति चमकाने और सरकार को बदनाम करने की साजिश कर रही हैं।

आंदोलनकारियों को तत्काल अपना आंदोलन समाप्त कर सरकार के साथ सौहार्द का वातावरण बनाना चाहिए ताकि निकट भविष्य में समिति के सामने उनका पक्ष रखा जा सके। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल में नियुक्तियों में सौ फीसदी पारदर्शिता बरती जा रही है। शिक्षक भर्ती में भी पूरी पारदर्शिता बरती गई है और आगे भी चयन पारदर्शिता के आधार पर ही किया जाएगा।

23 हजार पदों को भरने की मांग

वर्ष 2018 में प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक के 68500 पदों पर भर्ती की जो प्रक्रिया शुरू की गई थी, उसमें लिखित परीक्षा में केवल 41566 अभ्यर्थी ही उत्तीर्ण हो सके थे। इस कारण लगभग 23 हजार पद नहीं भरे जा सके थे। इसके बाद शुरू हुई 69 हजार पदों पर भर्ती की प्रक्रिया में तय पदों के सापेक्ष दोगुने से अधिक 1,46,060 अभ्यर्थी सफल घोषित किए गए। इस तरह लगभग 77 हजार अभ्यर्थी सफल होने के बाद भी चयनित नहीं हो सके हैं। अब यही अभ्यर्थी 68500 भर्ती के रिक्त 23 हजार पदों पर अपना चयन किए जाने के लिए आंदोलन कर रहे हैं।

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