जौ की नई प्रजाति विकसित कर सीएसए ने हसिल की बड़ी उपलब्धि

कानपुर। सीएसए के शोध निदेशालय के अधीन संचालित रबी शस्य अनुभाग के वैज्ञानिकों के 10 वर्षों के गहन शोध के परिणाम स्वरूप धान्य (अनाज) के क्षेत्र में कृषि विश्वविद्यालय ने जौं की नई प्रजाति विकसित कर बड़ी उपलब्धि हासिल की है। इससे प्रदेश का ऊषर प्रभावित क्षेत्र जौं उत्पादन में समृद्ध होगा। ज्ञातव्य हो कि चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय शोध/ शिक्षण एवं कृषि प्रसार के क्षेत्रों में निरंतर उपलब्धियां हासिल कर रहा है।

राज्य बीज विमोचन उप समिति की 33वीं बैठक 22 जुलाई 2021 द्वारा जौं की केबी- 1425 ( आजाद जौं- 33 ) प्रजाति को विमोचित किया जा चुका था। जबकि केंद्रीय फसल मानक नोटिफिकेशन व विमोचन उप समिति की 87 वीं बैठक 18 अक्टूबर 2021 में जौं की केबी-1425 ( आजाद जौं-33) को अधिसूचित किया गया है। यह प्रजाति उत्तर प्रदेश के ऊषर प्रभावित क्षेत्रों व अन्य राज्य के किसानों हेतु वरदान साबित होगी। निदेशक शोध डॉ एच जी प्रकाश ने बताया कि इस जौं की नव विकसित प्रजाति की औसत उपज 33 कुंतल प्रति हेक्टेयर है।

जबकि इस प्रजाति की उपज क्षमता 47.30 कुंतल प्रति हेक्टेयर है। जौं की इस प्रजाति के पकने की अवधि 120 दिन है। तथा यह प्रजाति पीला एवं भूरा रतुआ रोग के प्रति अवरोधी तथा पर्णदाग एवं कंडुआ के प्रति सहिष्णु है।उन्होंने बताया कि इस प्रजाति के दाने हल्के पीले रंग के होते हैं। तथा दानों में प्रोटीन (12.7%) अन्य जौं की प्रजातियों की अपेक्षा अधिक होती है। विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ डी.आर. सिंह ने इस सफलता पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कृषि वैज्ञानिकों की सराहना की है। जौं की इस नई प्रजाति को इजाद करने वाले वैज्ञानिक डॉ विजय यादव, डॉ पी के गुप्ता, डॉक्टर जे.बी.खान एवं उनकी टीम को बधाई दी है।

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