कानपुर : किडनैपिंग,फिरौती फिर हत्या ,दोस्तों ने ही पैसे के लिए की हत्या
कानपुर के बर्रा से अपहृत संजीत यादव कांड में आखिरी दिन तक पुलिस खुलासे के करीब रही। पता चला है कि संजीत के ही छह दोस्तों ने पैसों के लिए अपहरण किया था। पुलिस ने अस्पताल में काम करने वाले व कुछ बाहरी दोस्तों को बृहस्पतिवार को पकड़ा है।
पुलिस की ओर से कोई स्पष्ट जवाब न मिलने से परिजन दिनभर परेशान रहे। उन्हें अनहोनी की आशंका सताती रही। 30 लाख फिरौती जाने के 10 दिन बाद पुलिस खुलासे के करीब पहुंची है। सूत्रों के अनुसार पुलिस छह दोस्तों को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है।संजीत को बरामद करने के लिए एक टीम गाजियाबाद और दूसरी बिंदकी भेजी गई थी। अपहर्ता पुलिस से बचने के लिए चार पहिया वाहन से इधर-उधर घूम रहे थे। गुरुवार देर रात पुलिस ने संजीत की बाइक, बैग आदि बरामद करने के लिए पांडु नदी में गोताखोर उतरवाए और जाल भी डलवाया लेकिन कुछ हाथ नहीं लगा।
दोस्तों ने किया अपहरण
संजीत यादव के साथ एक लैब में काम कर चुके उसके दो दोस्त 22 जून की शाम बर्रा बाईपास पर मिले थे। दोनो दोस्त संजीत को पनकी के ढाबे में खाना खिलाने के लिए ले गए थे। जहां पर संजीत और उसके दोस्तों ने शराब पी भी थी। नशे की हालत में संजीत ने दोस्तों को बताया था कि मैं खुद की पैथोलॉजी खोलने वाला हूं। मैंने इसके लिए सभी तैयारियां कर ली हैं, संजीत की यह बात सुनते ही उसके दोस्तों ने अपहरण की योजना बना ली। संजीत के दोस्तों ने उसे ढाबे से ही अपहरण कर लिया। पनकी में रहने वाले कुलदीप ने अपहरण की पूरी साजिश को रचा था। इस साजिश में कुलदीप की गर्ल फै्रड, और उसके साथी ज्ञानेंद्र , रामजी शुक्ला समेत तीन अन्य लोग भी शामिल थे।
एसटीएफ, स्वॉट, सर्विलांस टीम के साथ मुखबिर तंत्र भी हुआ फेल
संजीत अपहरणकांड में पुलिस की हर इकाई फेल नजर आई। चाहे वह एसटीएफ हो स्वॉट,सर्विलांस या फिर मुखबिर तंत्र। अपहरणकर्ताओं ने 29 जून से 13 जुलाई तक परिजनों को कुल 26 बार फोन किया इस दौरान न तो उनकी कॉल ट्रेस की जा सकी और न ही उनकी लोकेशन मिली। हालांकि पुलिस ने अपहरणकर्ताओं के मोबाइल रिचार्ज करने वाले दुकानदार को पकड़कर जरूर अपनी पीठ थपथपा ली लेकिन इससे ज्यादा पुलिस कुछ भी नहीं कर सकी।